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डिफेंस कॉरिडोर बनाएंगे भारत को आत्मनिर्भर, यूपी और तमिलनाडु में बन रहे दो कॉरिडोर

नई दिल्लीः रक्षा उत्पादों के निर्यातक व आत्मनिर्भर बनने की ओर बढ़ रहे भारत ने ‘डिफेंस कॉरिडोर’ के जरिए लंबी छलांग लगाने की तैयारी कर ली है। निर्यातक बनने में कॉरिडोर सबसे बड़ी भूमिका निभाएंगे, क्योंकि रक्षा सामग्री निर्माण यानी औद्योगिक ढांचे का विकास करके ही इस लक्ष्य को भारत भेद सकता है। डिफेंस कॉरिडोर एक रूट होता है, जिसमें कई शहर शामिल होते हैं। इन शहरों में सेना के काम में आने वाले सामानों के निर्माण के लिए इंडस्ट्री विकसित की जाती है, जहां कई कंपनियां हिस्सा लेती हैं।

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इस कॉरिडोर में पब्लिक सेक्टर, प्राइवेट सेक्टर और एमएसएई कंपनियां हिस्सा लेंगी। इस कॉरिडोर में वो सभी औद्योगिक संस्थान भी भाग लेते हैं, जो कि सेना के सामान बनाते हैं। कॉरिडोर बनने के बाद यहां हथियारों से लेकर वर्दी तक के सामानों को बनाया जाएगा। 2018-19 में बजट भाषण में वित्त मंत्री ने देश में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाए जाने की घोषणा की थी। इनमें से पहला तमिलनाडु के 5 और दूसरा उत्तर प्रदेश के 6 शहरों में बन रहा है।

डिफेंस कॉरिडोर की अहमियत

रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में डिफेंस कॉरिडोर का खासा महत्व है। अभी भारत रक्षा क्षेत्र की अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों पर निर्भर है। भारत दूसरे देशों से हथियारों का आयात करता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर के डिफेंस प्रोडक्ट और हथियारों का उत्पादन होने के साथ ही इन डिफेंस कॉरिडोरों के कारण क्षेत्रीय उद्योगों का विकास होगा और नए रोजगार का मौका बनेगा। साथ ही, उद्योग रक्षा उत्पादन के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन के साथ भी जुड़ सकेंगे।

डिफेंस कॉरिडोर में बनेंगे ये सामान

डिफेंस कॉरिडोर में बुलेट प्रूफ जैकेट, ड्रोन, लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, तोप और उसके गोले, मिसाइल, विभिन्न तरह की बंदूकें आदि बनाए जाएंगे। डिफेंस कॉरिडोर से देश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।

1.75 लाख करोड़ की रक्षा सामग्री उत्पादन का लक्ष्य

सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के तहत रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए ‘रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्धन नीति 2020’ तैयार की। साल 2025 तक भारत का लक्ष्य 1।75 लाख करोड़ रुपए (25 अरब डॉलर) का उत्पादन करने का है। इसमें 35 हजार करोड़ रुपए (5 अरब डॉलर) का एयरोस्पेस और रक्षा सामाग्री व सेवाओं को एक्सपोर्ट शामिल है।

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