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शिक्षा मंत्री ने बताई नई शिक्षा नीति लागू करने में NCERT की क्या है भूमिका

 

नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। निशंक ने एनसीईआरटी के 60वें स्थापना दिवस पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार 34 साल बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आई है, जिसमें स्कूली शिक्षा और शिक्षक-शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन लाने की संस्तुति की गई है।

निशंक ने मंगलवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू करने में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। निशंक ने एनसीईआरटी के 60वें स्थापना दिवस पर आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार 34 साल बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आई है, जिसमें स्कूली शिक्षा और शिक्षक-शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन लाने की संस्तुति की गई है। इसे लागू करने के लिए एनसीईआरटी द्वारा राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा बनाई जाएगी जो नए पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकों और स्कूल के अन्य पहलुओं पर दिशा-निर्देश देगी।

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केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने इस मौके पर ‘दीक्षा पोर्टल’ पर ‘निष्ठा’ के ऑनलाइन माध्यम की शुरुआत भी की और एनसीईआरटी एवं इंडियन साइन लैंग्वेज रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर (आईएसएलआरटीसी) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर हुए। इस मौके पर निशंक ने कहा कि शिक्षकों के क्षमता निर्माण के लिए निष्ठा कार्यक्रम द्वारा एनसीईआरटी द्वारा 23 हजार संदर्भ व्यक्तियों और 17.5 लाख शिक्षकों और स्कूल के प्रमुखों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। कोरोना वैश्विक महामारी की चुनौतियों को देखते हुए आज दीक्षा पोर्टल के लिए ऑनलाइन निष्ठा लॉन्च करने में हर्ष और संतोष का अनुभव हो रहा है। इस ऑनलाइन माध्यम से शेष 24.5 लाख प्रारम्भिक स्तर के शिक्षकों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।

एनसीईआरटी और आईएसएलआरटीसी के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर होने पर ख़ुशी जताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस ऐतिहासिक समझौते के अंतर्गत हिंदी और अंग्रेजी माध्यम की कक्षा I-XII की सभी एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तक, शिक्षक पुस्तिका और अन्य पूरक पाठ्यपुस्तक एवं संसाधनों को भारतीय सांकेतिक भाषा में परिवर्तित किया जाना है। इस पहल से उन सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों, जो सुन नहीं सकते हैं या कम सुन पाते है, को लाभ होगा।

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पोखरियाल ने कहा कि किसी भी संस्था की वास्तविक पहचान उसके भवन से नहीं बल्कि उसके कार्यों से होती है और एनसीईआरटी ने अपनी शैक्षिक उपलब्धियों के द्वारा ही अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. हृषिकेश सेनापति को बधाई देते हुए कहा कि एनसीईआरटी के अनिवार्य कार्यों में विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि करने के लिए निरंतर शोध करने के साथ-साथ बच्चों, शिक्षकों, अभिभावकों और अन्य संबंधित व्यक्तियों के लिए उपयोगी शैक्षिक सामग्री का निर्माण करना और आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना शामिल है और संस्थान ने पिछले पांच दशकों से भी अधिक समय में इन तीनों ही क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य किया है।

एनसीईआरटी द्वारा बनाई गईं पाठ्य-पुस्तकों की सराहना करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा, संस्थान ने अपनी पाठ्य पुस्तकें बदलते समाज की परिवर्तित होती आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार की हैं। देश भर में एनसीईआरटी द्वारा बनाई गई पाठ्य पुस्तकों के उपयोग से हम विद्यालयी स्तर की शैक्षिक गुणवत्ता को बनाए रखने में सक्षम हो सके हैं। भविष्य में इन पुस्तकों में भारत की संस्कृति और परम्पराओं का ज्ञान, बहुभाषिता, मूल्य शिक्षा, संवैधानिक मूल्यों और अनेक महत्वपूर्ण सामाजिक सरोकारों इत्यादि पर अधिक बल देना होगा। ये पाठ्य पुस्तकें बच्चों को एक संतुलित और तार्किक व्यक्तित्व बनने में सहायता प्रदान करेंगी।

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इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत, केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे, स्कूली शिक्षा सचिव अनीता करवाल, दिव्यांगों के सशक्तीकरण विभाग की सचिव शकुंतला डोले गामलिन, एनसीईआरटी के निदेशक प्रो हृषिकेश सेनापति, एनसीईआरटी के संयुक्त निदेशक प्रो श्रीधर श्रीवास्तव, तकनीकी शिक्षा विभाग की प्रमुख प्रो. रंजना अरोरा, दिव्यांगों के सशक्तीकरण विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. प्रबोध सेठ एवं शिक्षा मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और एनसीईआरटी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।