भोपालः प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आय से अधिक संपत्ति मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए भोपाल जेल के तत्कालीन डीआईजी स्वर्गीय उमेश कुमार गांधी, उनके परिजनों और सहयोगियों की 4.68 करोड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति जब्त की है। यह कार्रवाई 12 साल पहले तत्कालीन डीआईजी गांधी के घर विशेष स्थापना पुलिस (लोकायुक्त) द्वारा की गई छापेमारी के सिलसिले में की गई है। ED की ओर से शनिवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार लोकायुक्त पुलिस भोपाल ने उमेश कुमार गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई की थी।
लोकायुक्त पुलिस ने दर्ज किए आरोप पत्र
गांधी पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में जांच की गई थी और लोकायुक्त पुलिस भोपाल ने इस मामले में दो आरोप पत्र दाखिल किए हैं। पहला आरोप पत्र पीसी एक्ट के तहत विशेष न्यायालय में और दूसरा प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश भोपाल की अदालत में दाखिल किया गया है। इन मामलों में तत्कालीन जेल डीआईजी उमेश कुमार गांधी, अजय कुमार गांधी (तत्कालीन जेल प्रहरी, जिला जेल सीहोर) और अर्चना गांधी (उमेश कुमार गांधी की पत्नी) पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है। इनके खिलाफ 5.13 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में यह कार्रवाई की गई है।
सीहोर, सागर, कटनी, भोपाल और इंदौर की संपत्तियां जब्त-
ED ने आय से अधिक संपत्ति के स्रोत का पता लगाने के लिए पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत जांच की। जांच में पता चला कि स्वर्गीय उमेश कुमार गांधी ने अपने नाम पर भारी मात्रा में चल-अचल संपत्ति अर्जित की थी। उनके परिवार के सदस्यों और सहयोगियों के नाम पर कुल 4.68 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति पाई गई है। इसमें से 20 अचल संपत्तियों की पहचान की गई, जो मध्य प्रदेश के सागर, कटनी, सीहोर, भोपाल और इंदौर में स्थित हैं। इसके अलावा बैंक अकाउंट बैलेंस, ज्वेलरी, इंश्योरेंस पॉलिसी, म्यूचुअल फंड और किसान विकास पत्र जैसी चल संपत्ति भी शामिल है। इन सभी को ED ने अस्थायी तौर पर अटैच किया है। गौरतलब है कि लोकायुक्त पुलिस ने 12 साल पहले भोपाल जेल के तत्कालीन डीआईजी उमेश कुमार गांधी के घर पर छापा मारा था। उस वक्त उनके पास करीब 25 करोड़ रुपए की संपत्ति मिली थी।
यह भी पढ़ेंः-Journalist murder case: मुख्य आरोपी के अवैध कब्जे को किया गया ध्वस्त
लोकायुक्त ने उनके दो भाइयों अजय गांधी (सीहोर) और रामगोपाल गांधी (सागर) के घर पर भी छापा मारा था। अजय गांधी के घर से करीब 8 लाख रुपए की एफडी, 35 हजार रुपए नकद और करीब 10 तोला सोने के जेवर जब्त किए गए थे। उमेश गांधी का चयन 1987 में जिला जेल अधीक्षक के पद पर हुआ था। पांच साल बाद प्रमोशन मिलने पर गांधी सेंट्रल जेल अधीक्षक बने। इस दौरान वे कई जिलों में रहे। दो साल पहले उनकी नियुक्ति डीआईजी जेल के पद पर हुई थी। उनका आखिरी वेतन करीब 70 हजार रुपए प्रतिमाह था। हालांकि, जब उनके खिलाफ केस चल रहा था, तभी उनकी मौत हो गई।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)