झांसी में ईको पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, डीएम ने महानिदेशक को दिये ये सुझाव

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झांसी: जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने झांसी में पर्यटकों की संख्या बढ़ाए जाने का मंतव्य रखते हुए महानिदेशक पर्यटन को क्षेत्र में इको पर्यटन बढ़ाए जाने के परिपेक्ष में अवगत कराते हुए कहा कि यदि क्षेत्र के पर्यटन स्थल एवं झांसी में गढ़मऊ झील, बरुआसागर झील, पारीछा बांध एवं पहुंज बांध पर ईकोटूरिज्म से संबंधित सुविधाएं विकसित की जाएं तो प्रदेश सरकार का 01 ट्रिलियन इकॉनोमी का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

जिलाधिकारी ने पत्र प्रेषित करते हुए कहा कि यह एक ऐसी परिकल्पना है जिसे मैंने अपने मन की आंखों से देखा है, यह एक ऐसा सपना है जिसे मैंने नींद में नहीं जाते हुए देखा है, इस सपने को देखने के बाद मेरी व्याकुलता इतनी बढ़ी और तब से निरंतर प्रयासरत हूं। मुझे बुंदेलखंड की संस्कृति और परंपराओं की पौराणिक और ऐतिहासिक झलक दिखाई दे रही है, मुझे लगता है कि मैं कुछ ऐसा करूं जिसे नई पीढ़ी देखकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करें कि हमारे पूर्वजों की संस्कृति कितनी समृद्ध थी।

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जिलाधिकारी ने बताया कि सरकार प्रदेश में 01 ट्रिलियन इकॉनोमी के लक्ष्य प्राप्त करने हेतु प्रयासरत है। झांसी में ऐसे कई स्थल हैं जहां पर्यटन सुविधाएं विकसित कर पर्यटकों की संख्या बढ़ाई जा सकती है, जिससे इस क्षेत्र को आर्थिक लाभ होगा साथ ही लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे तथा उनके जीवन स्तर में सुधार आएगा। ईको टूरिज्म से सम्बन्धित जनपद झांसी में कई पर्यटन स्थल हैं। झांसी में गढ़मऊ झील, बरुआसागर झील, पारीछा बांध एवं पहुंज बांध ऐसे स्थल हैं जहां सदैव जल भंडारण की उपलब्धता है और जो या तो झांसी-कानपुर मार्ग या खजुराहो मार्ग पर स्थित हैं, जिससे पर्यटक आसानी से इन स्थलों तक पहुंच सकते हैं। इको फ्रेंडली बोटिंग,इको फ्रेंडली हाउस बोट,वाटर वॉल प्रोजेक्शन मैपिंग जिसमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के जीवन पर आधारित होगा। स्कूबा डाइविंग अथवा स्नॉर्कलिंग। झील के नीचे सबमर्ज्ड हाउस जिसकी दीवारें शीशे की होंगी अथवा झील के एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए शीशे की दीवार वाली सुरंग बनाई जा सकती है, जिससे पर्यटक अंदर जाकर जल- जीव देख सकेंगे। बरुआसागर किले से झील के बीच में बने टापू तक रोपवे।

झांसी में पर्यटन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए जनपद की नदी, जलाशय, झील, तालाब में रिवर क्रूज, याच, हाउस बोट, नाव, फेरारी एवं अन्य जल की क्रियाओं को पर्यटन नीति-2018 के अंतर्गत गठित समिति के अनुमोदनोपरांत पंजीकरण कर संचालन प्रारंभ करना अनुमन्य है, उक्त सुझाव इस अनुरोध के साथ प्रेषित हैं कि संबंधित को परीक्षण हेतु निर्देशित कर आवश्यक कार्यवाही कराने की कृपा करें, जिससे सरकार का विजन फलीभूत हो। साथ ही राज्य की जी.डी.पी. बढ़ाने में मदद मिल सके।

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