Home उत्तर प्रदेश महेंद्रनाथ पांडेय ने कहा- वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर प्राचीन श्लोक

महेंद्रनाथ पांडेय ने कहा- वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर प्राचीन श्लोक

वाराणसी: केंद्रीय कौशल एवं भारी उद्योग मंत्री डॉ. महेंद्रनाथ पांडे Dr. MahendraNath Pandey() ने कहा कि पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव में हम अपनी संस्कृति, सभ्यता और ज्ञान दर्शन को भूल गए हैं, आज पश्चिमी संस्कृति के भ्रम का अंधकार दूर हो रहा है। एक बार फिर भारतीय ज्ञान परंपरा पूरे विश्व को अपनी रोशनी से रोशन करने लगी है। भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है।

वसुधैव कुटुंबकम की भावना

केंद्रीय मंत्री गुरुवार को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मुख्य भवन सभागार में आयोजित चार दिवसीय ‘काशी शब्दोत्सव-2024’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उद्घाटन सत्र के ‘विकसित भारत: विश्व गुरु भारत’ विषय पर चर्चा में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ वास्तव में भारत का प्राचीन श्लोक है। जो दुनिया के बारे में भारत की सोच को दर्शाता है कि भारत के पास जो कुछ भी था, उसने बिना किसी नफरत या अहंकार के कभी नहीं कहा कि यह मेरा है। इसलिए इस पर मेरा एकाधिकार है। निश्चित रूप से डिजिटल अर्थव्यवस्था पूरे विश्व को वसुधैव कुटुंबकम की इसी भावना के साथ एक परिवार के रूप में आगे बढ़ाने में मदद कर सकती है।

सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडे ने कहा कि भारत विश्व गुरु रहा है। जब भारतीय संस्कृति अपने चरम पर थी। आज भारतीयों ने अपनी संस्कृति को छोड़कर दूसरों की संस्कृति को अपना लिया है। उन्होंने कहा कि जिस दिन भारतीय फिर से अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा के प्रति जागरूक हो जायेंगे और उसे अपना लेंगे। भारत पुनः विश्व गुरु बनेगा। आज भारत फिर से विश्वगुरु बनने के लिए नई दृष्टि और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृति की जड़ संस्कृत भाषा है। संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का स्रोत है।

भारत का गौरव इसकी संस्कृति और सभ्यता

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि काशी कोई साधारण भूमि नहीं बल्कि अद्भुत भूमि है, भारतीय संस्कृति की ज्ञान परंपरा संस्कृत भाषा में ही निहित है। भारत का गौरव इसकी संस्कृति और सभ्यता है और संस्कृति का मूल आधार संस्कृत है। उन्होंने कहा कि भौतिक सुविधाओं के साथ-साथ आध्यात्मिक चेतना को स्वीकार करने से ही विश्व गुरु बनने की परिकल्पना साकार होगी।

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इसके पूर्व कार्यक्रम समन्वयक प्रो शैलेश कुमार मिश्र ने विषय परिचय प्रस्तुत किया। संचालन डॉ. रविशंकर पांडे और स्वागत भाषण प्रो जितेंद्र कुमार शाही ने दिया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचार प्रमुख मनोज कांत, कार्यक्रम संयोजक प्रो।ओमप्रकाश सिंह, डॉ. हरेंद्र राय, डॉ. राकेश कुमार के अलावा विश्वविद्यालय के प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल, प्रो. रामपूजन पांडे, प्रो. हीराकांत चक्रवर्ती, प्रो. दुर्गा नंदन त्रिपाठी आदि भी मौजूद थे।

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