वाराणसी: प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शनिवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के स्वतंत्रता भवन सभागार सीनेट हॉल में आयोजित तीन दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी ‘सुफलाम’ का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने देश भर से जुटे कृषि वैज्ञानिकों को सम्बोधित कर कहा कि प्रदेश में खेती किसानी अब काफी चुनौतीपूर्ण हो गई है। जलवायु परिवर्तन से सबसे अधिक नुकसान पृथ्वी और जल का ही हुआ है। रासायनिक खादों के प्रयोग से पूरी-की-पूरी मिट्टी ही खेती लायक नहीं बची। उन्होंने कहा कि खेती के लिए मिट्टी में जैविक कार्बन का मान 0.808 फीसद से 0.5 फीसद तक होना चाहिए। मगर, हमारे यहां की मिट्टी में जैविक कार्बन की वैल्यू 28 से लेकर 03 फीसद हो गई।
कृषि मंत्री ने कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने खाद पर कर लगा रखा था। भाजपा सरकार आई तो 350 करोड़ का कर माफ कर दिया। उसके बाद देखा गया कि यूरिया खाद की खपत 2 लाख टन बढ़ गई। जब मिट्टी की जांच की गई तो पता चला कि हमारी मिट्टी काफी प्रदूषित हो चुकी है। कृषि मंत्री ने कहा कि फसलों (क्रॉप पैटर्न) में हमने धान, गेहूं और गन्ना के फसल को अपना लिया। ये फसल सबसे ज्यादा पानी साेखने वाले फसल हैं। पिछले 10-15 सालों से लगातार हम इन फसलों को लगा रहे हैं। इसकी वजह से धरती का जलस्तर भी घट गया है।
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कृषि मंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड के 47 खंडों में प्राकृतिक खेती शुरू किया है। पंचगब्य से खेती हो रही है। मिलेट्स (मोटा अनाज) पर भी काम चल रहा है। अभियान चलाकर दलहन और तिलहन की खेती शुरू कर रहे हैं। कृषि मंत्री ने संगोष्ठी में लगे पृथ्वी तत्व प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। इस दौरान संगोष्ठी के सचिव प्रो. राकेश सिंह और कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. एनसी गौतम आदि भी मौजूद रहे।
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