Home उत्तर प्रदेश अगेती लौकी कर रही किसानों को मालामाल, उन्नतशील किस्मों की बुवाई कर...

अगेती लौकी कर रही किसानों को मालामाल, उन्नतशील किस्मों की बुवाई कर कमाएं मोटा मुनाफा

vegetables-bottlegourd-cultivation

लखनऊः मौसम लगातार अंगड़ाई ले रहा है लेकिन यह उन किसानों के लिए बड़ा मुफीद है, जो उन्नतशील खेती करना चाहते हैं। इन दिनों बाजार में पचास रूपए किलो लौकी बिक रही है। जिन किसानों ने इसे अगेती के रूप में बोया था, उन्होंने पहली तोड़ाई में ही पूरी लागत वसूल कर ली है। हालांकि, अभी लौकी बोने का समय है और यह बारिश से पहले वाली फसल होगी यानी किसानों को लौकी से कमाई का एक और मौका है।

लौकी कमाई के लिए अच्छी सब्जी है। इसमें तमाम तरह की उन्नत किस्मों के बीज आने के कारण किसान काफी भ्रमित हो जाता है, इसलिए कुछ खास किस्मों के बीज ही खरीदने चाहिए, जिनके बोने का समय अभी है। इनमें काशी गंगा इसकी खासियत है कि यह गर्मी में केवल पचास दिनों में फलने लगती है। काशी बहार को भी लोग खूब पसंद करते हैं। इसे रेतीले क्षेत्र में बोने से ज्यादा फल मिलते हैं। माना जाता है कि 52 टन प्रति हेक्टेयर इसमें लौकी तैयार होती हंै। पूसा नवीन, अर्का बहार, पूसा संदेश और पूसा कोमल को भी उन्नतशील किस्मों में गिना जाता है। हालांकि, यह करीब दस दिन बाद फल देती हैं। इसकी पैदावार करीब 450 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इसके अलावा कई और किस्मों के बीज बाजार में मिल जाते हैं।

लौकी में विटामिन्स की भरमार होती है। गुणों के कारण इसे जूस की तरह भी पिया जाता है। यह मधुमेह, वजन कम करने, पाचन क्रिया, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। जिन लोगों को लौकी के गुणों की जानकारी है, वह इसे अपने आहार में ज्यादा से ज्यादा शामिल करते हैं। लौकी की खपत सभी जगहों पर खूब होती है। गर्मी में यह महंगी भी बिकती है। ज्यादा खपत और ज्यादा मुनाफा होने के कारण तमाम किसान इसे कमाई का जरिया वाली खेती मानते हैं। गर्मी में इसके सड़ने का भी डर नहीं रहता है। इसके बाजार भी सालों-साल गुलजार रहते हैं। यहां तक कि फेरी वाले भी इसे किसान के खेत से ही उठा लेते हैं।

ये भी पढ़ें..कोलकाता में एडिनोवायरस का प्रकोप, अब तक 18 बच्चों की गईं…

अनुकूल है जलवायु और मिट्टी –

लौकी बोने के लिए गर्म और आद्र्र जलवायु की आवश्यकता होती है। इन दिनों पर्याप्त तापमान है। इसके बीज 30 से 35 डिग्री सेन्टीग्रेड में आसानी से उगते हैं। ऐसी अनुकूल परिस्थितियों का इंतजार नहीं करना है जबकि बलुई दोमट, चिकनी मिट्टी भी लखनऊ के आस-पास के जिलों में है। जायद यानी ग्रीष्मकालीन फसल के लिए जनवरी से मार्च और खरीफ यानी बारिश के लिए मध्य जून से जुलाई एवं रबी के लिए सितम्बर और अक्टूबर में बीज बोने होते हैं। इसे मचान में फैलाकर अच्छी फसल मिलती है। लौकी की गर्मी वाली फसल के लिए सप्ताह में एक बार सिंचाई करनी होती है। इससे किसान बचते हैं। जहां कहीं भी नहर और नदी के जरिए सिंचाई का प्रबंध हो सकता है, वहां की सिंचाई काफी सस्ती पड़ती है। हालांकि, किसानों को सरकार की ओर से सिंचाई की दरों में काफी राहत दी गई है इसलिए किसान लौकी की खेती से अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

Exit mobile version