नई दिल्लीः नवरात्रि का नौ दिन का महापर्व 26 सितम्बर (सोमवार) से शुरू हो रहा है। चार अक्टूबर को नवमी पूजन के साथ नवरात्रि संपन्न होगी। सोमवार से नौ दिनों तक मां भगवती के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूरे भक्तिभाव के साथ आराधना की जाएगी। इस बार मां भगवती हाथी पर सवार होकर पृथ्वीलोक आ रही हैं और उनका प्रस्थान भी हाथी पर ही होगा। हिंदू मान्यताओं के अनुसार माता रानी का हाथी पर सवार होकर आना बेहद शुभ है। इससे आर्थिक समृद्धि के योग बन रहे हैं और अन्न, धन की वृद्धि होगी।
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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार पूजा और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 10 मिनट से सुबह 7 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। यदि किसी कारणवष यह मुहूर्त निकल जाता है तो परेषान न हों। दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 11ः49 बजे से लेकर 12ः37 बजे तक रहेगा। इस बार नवरात्रि के कलश स्थापना के समय शुक्ल और ब्रह्म योग का बेहद शुभ मुहूर्त बन रहा है। धार्मिक दृष्टि से यह योग अति शुभ है।
नवरात्रि पर घटस्थापना की विधि
नवरात्रि के पहले दिन प्रातःकाल के समय घर की अच्छी तरह से सफाई करें और नित्य कार्यो से निवृत्त होने के बाद स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। कलश स्थापना के लिए घर की मंदिर में मां दुर्गा की प्रतिमा का गंगा जल से स्नान करायें और वस्त्र अर्पण करें। इसके बाद पवित्र मिट्टी में जौ मिला लें। अब कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनायें और कलावा बांध दें। कलश में जल भर कर मिट्टी के ऊपर स्थापित कर दें। कलश के जल में थोड़ा सा गंगा जल जरूर मिलायें। अब कलश में आम के पांच पत्तों की डाल का डालें और फिर मिट्टी के ढक्कन को कलश पर रखें। अब ढक्कन को चावल से भर दें। इसके बाद नारियल में लाल चुनरी और कलावा बांध कर कलश के ऊपर रख दें। अब माता रानी को लाल फूलों की माला अर्पित करें। इसके बाद मौसमी फल, धूप, दीपक, मेवे, रोली, कुुमकुम, सिंदूर, लाल चूड़ी, लाल बिंदी और मिष्ठान अर्पित करें। अब भगवान गणेश का आह्वान करते हुए पूजा की शुरूआत करें। इसके बाद नवरात्रि व्रत कथा का पाठ करें और आरती अवश्य करें। नवरात्रि के नौ दिनों तक रोजाना दुर्गा सप्तशती पाठ के साथ चालीसा और दुर्गा जी के मंत्रों का जाप जरूर करें।
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