Sunday, November 24, 2024
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रक्षा मंत्री ने दूनागिरी को बताया भारत की आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम

कोलकाता: केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दूनागिरी रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम है। यह पुराने पुनागिरी जेएसडब्ल्यू फ्रिगेट का नया अवतार है। उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य भारतीय सेना को मजबूत बनाना है।

केन्द्रीय मंत्री सिंह शुक्रवार को कोलकाता में गार्डनरीच शिपबिल्डर्स इंजीनियरिंग लिमिटेड (जीआरएसई) के तैयार किए गए स्वदेशी युद्धपोत “दूनागिरी” की लॉन्चिंग पर बोल रहे थे। नौसेना को इस शिवालिक क्लास फ्रीगेट युद्धपोत को सौंपते हुए उन्होंने इसे हुगली नदी में लॉन्च किया। 2019 में मोदी सरकार-2 में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद शुक्रवार को पहली बार राजनाथ सिंह कोलकाता पहुंचे थे। उन्होंने आश्वस्त किया कि वह कोलकाता आते रहेंगे और ऐसे ही सैन्य उपकरणों को राष्ट्र को समर्पित करते रहेंगे।

उत्तराखंड के एक पहाड़ की चोटी के नाम पर रखे गए इस युद्धपोत आईएनएस दूनागिरी की खासियत का जिक्र करते हुए राजनाथ ने कहा कि यह समुद्र में छिपकर वार करने में सक्षम है। अत्याधुनिक तकनीकों से लैस होने की वजह से किसी भी राडार की पकड़ में नहीं आने वाला और हर तरह के हथियार लेकर जाने में सक्षम है। भारतीय सेना को मजबूत करना उनका लक्ष्य है।

दरअसल, पुराना फ्रिगेट 33 सालों की सेवा पूरा करने के बाद वर्ष 2010 में रिटायर हो गया था। उसी के नाम पर नए फ्रीगेट का नाम रखा गया है। भारतीय नौसेना में यह परंपरा रही है कि रिटायर हो चुके युद्धपोत के नाम पर ही नए जंगी जहाज का नाम रखा जाता है। सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट 17ए के तहत बने यह युद्धपोत बेहतर स्टेल्थ फीचर, एडवांस वेपन सेंसर और प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम से लैस है।

इस मौके पर नौसेना, सेना, वायुसेना व जीआरएसइ के वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद थे। इससे पहले परियोजना 17ए के तहत निर्मित पहले स्टील्थ फ्रिगेट का जलावतरण दिसंबर, 2020 में तत्कालीन प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) बिपिन रावत की पत्नी मधुलिका रावत ने किया था। समारोह में नौसेना अध्यक्ष एडमिरल हरि कुमार समेत पूर्वी सेना कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग- इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता, पूर्वी नौसेना कमान के प्रमुख वाइस एडमिरल विश्वजीत दासगुप्ता, जीआरएसइ के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक कमोडोर (रिटायर्ड) पीआर हरि समेत अन्य विशिष्ट लोग मौजूद थे।

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