वर्षा के अभाव से सूख रही खेती, किसानों के माथे पर चिंता की लकीर

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धमतरीः बारिश (Rain) के मौसम में पर्याप्त बारिश नहीं होने से खेती किसानी बुरी तरह पिछड़ रही है। पहली बारिश के बाद ही खेतों में रोपे गए धान के पौधे सूखने लगे हैं, ऐसे में किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं, अगर आने वाले दिनों में बारिश नहीं हुई तो किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।

चिंताजनक होती जा रही स्थिति

धमतरी जिले के चारों ब्लॉक में अब खेती किसानी पिछड़ती जा रही है। अगर एक सप्ताह के अंदर बारिश नहीं हुई तो किसानों को काफी नुकसान होगा। धमतरी जिले के नगरी ब्लॉक, कुरूद ब्लॉक, धमतरी ब्लॉक और मगरलोड ब्लॉक के किसान अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं। किसानों ने अपनी जरूरत के हिसाब से सोसायटियों से खाद का उठाव भी कर लिया है, लेकिन बारिश नहीं होने से खेती किसानी का काम बाधित होने लगा है। पिछले साल की तुलना में इस साल औसत बारिश 100 मिमी कम है। बारिश नहीं होने से स्थिति दिन प्रतिदिन चिंताजनक होती जा रही है, क्योंकि पानी के बिना हर जगह सूखा है।

इस वर्ष बहुत कम हुई बरसात

खेतों की मिट्टी के साथ रोपे गए धान के पौधे भी सूखने लगे हैं। लाईचोपी पद्धति से रोपे गए खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं। शहर और गांवों के बोर पंप कमजोर होने के साथ ही बंद होने लगे हैं। धमतरी और बालोद सीमा क्षेत्र के कई गांवों के किसान नर्सरी और धान की फसल को बचाने के लिए डीजल पंप से गड्ढों और तालाबों में भरे पानी का उपयोग सिंचाई के लिए कर रहे हैं। धमतरी जिले में एक जून से अब तक मात्र 184 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है, जो पिछले साल की औसत वर्षा से 100 मिमी कम है। 10 जुलाई 2023 को धमतरी जिले में कुल 283 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई थी, लेकिन इस साल मानसून की दगाबाजी के कारण बहुत कम वर्षा हुई है।

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आषाढ़ माह में 18 दिन बारिश हुई तो मात्र 15 से 20 मिनट ही हुई है, इससे ज्यादा नहीं बढ़ी है। अधिकांश दिनों में 10 से 15 मिनट ही बारिश हुई है। कम बारिश के कारण खेत-खलिहानों की प्यास नहीं बुझ पाई है। गड्ढों में पानी ठीक से नहीं भरा जा रहा है। जिले के चारों बांधों की स्थिति चिंताजनक है। आषाढ़ माह के अधिकांश दिन बीतने को हैं, लेकिन जिले में संतोषजनक बारिश नहीं होने से सूखे की स्थिति बन रही है, इससे लोगों की चिंता बढ़ गई है। अधिकांश बोर पंपों में पानी का प्रवाह पतला हो गया है। कई बंद होने के कगार पर हैं, ऐसे में अब धान की फसल पर भी खतरा मंडराने लगा है। बोई गई धान की पौध और जमीन दोनों सूखने लगी है। सिंचाई बोर पंप बंद होने से कई किसानों की नर्सरी सूखने लगी है।

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