लखनऊः दुबग्गा के जेहटा गांव में ठेकेदार मोतीलाल पाल के घर उनके साढ़ू के लड़के विकास की मुखबिरी कर ही डकैती डलवाई थी। पुलिस ने साजिश में विकास समेत सात बदमाशों को बुधवार रात गिरफ्तार कर लिया। रेकी और घटना में प्रयुक्त वैगन आर कार व तमंचा भी बरामद हो गया है। इनके पास से लूट का कुछ माल भी बरामद किया गया है।
इस मामले में उन्नाव निवासी सरवन (40) व जीमल (42), संजय बाजपेई (60), हरदोई निवासी विकास पाल व लखनऊ निवासी ऋषिकांत तिवारी (34), दिव्यांश (20), तरूण बाजपेई (22), कैफ अहमद (20), नमन मिश्रा (30) को बुधवार सुबह 5.30 बजे घटना में लूटे गए आभूषण, घटना में प्रयुक्त हुई कार, मोटर साइकिल व तमंचा कारतूसों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस आयुक्त लखनऊ ने टीम के मनोबल को ऊंचा करने व पुलिसकर्मियों के उत्साहवर्धन के लिए 20 हजार रूपये का नगद पुरस्कार एवं प्रषस्ति पत्र प्रदान किए जाने की घोषणा की।
मौसा के घर ही आरोपी ने डलवाई डकैती
पुलिस विकास हरदोई के मल्लावां का रहने वाला है। उसने अपने साथियों के साथ मिलकर मोतीलाल के घर डकैती डलवाई थी। फुटेज, कदकाठी और बोलचाल की भाषा से मोतीलाल पाल और उनकी नातिन नैना ने बदमाशों को पहचान भी लिया है। शनिवार की देर रात मोतीलाल के घर पर डकैतों ने घुसकर घर में रखी अलमारी से तीन लाख अस्सी हजार रूपये नगद व सोने-चांदी के गहने उन्हें नातिन समेत बंदी बनाकर लूट लिए थे। पीड़ितों से की गई पूछताछ के आधार पर घटना में कुछ बदमाशों की जगह पांच से अधिक बदमाशों के शामिल होने की बात पता चली।
घटना के अनवरण के लिए गठित हुई पांच टीमें
उक्त ब्लाइण्ड घटना के अनावरण के लिए अपर पुलिस उपायुक्त पश्चिमी के द्वारा 05 टीमों का गठन किया गया। जिसमें कमिश्नरेट की मुख्य क्राइम टीम, डीसीपी पश्चिमी की सर्विलांस टीम, थानाध्यक्ष मानकनगर, थाना ठाकुरगंज, थाना पारा एवं दुबग्गा के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के क्राइम टीम का गठन करते हुए घटना के त्वरित अनावरण के लिए लगाया। टेक्निकल सर्विलांस के लिए गठित टीमों के द्वारा घटना स्थल के आस-पास के वृहद मोबाइल टावर डेटा का विश्लेषण प्रारम्भ किया गया।
चुंकि इस घटना को अज्ञात अभियुक्तों ने अंजाम दिया था और वादी के घर एवं उसके समीपवर्ती घरों में कोई क्लोज सर्किट टीवी कैमरा नहीं लगा हुआ था तथा वादी के घर में बिजली का कनेक्शन नहीं होने के कारण घर में रात्रि का समय होने के कारण पूरी तरह अंधेरा था, जिसके कारण अभियुक्तों के सम्बन्ध में कोई सीसीटीवी फूटेज नहीं मिला और न ही उनके पहचान से संबंध कोई जानकारी मिली।
वकील ने बनाई डकैती की पूरी योजना
नमन मिश्रा को विकास से जानकारी हुई कि चूंकि घर में एक वृद्ध दम्पत्ति और उनके नाती एवं नातिन रहते है और उनका घर अभी सुनसान जगह पर है। वहां पर आसानी से लूटपाट की घटना को अंजाम दिया जा सकता है। विकास ने घटना स्थल दिखाया। तब नमन मिश्रा ने अपने मामा संजय बाजपेयी (वकील) के साथ सलाह कर अपने पुराने साथियों दिव्यांश भारती उर्फ के0के0 व कैफ अहमद को लूट के पैसे बराबर-बराबर देने का वादा कर इस योजना में शामिल किया। मामा ने फिर सरवन जो पुराना अपराधी है और उनका क्लाइन्ट है, उसको इस घटना में शामिल कराया। सरवन के सहयोगी अपराधी मो0 जमील को भी इस घटना में शामिल कराया।
कैसे डाली गई डकैती
मामा ने सभी को इकठ्ठा करके बताया कि घटना के समय कोई फोन प्रयोग मत करना नहीं तो पकड़े जाओगे। अगले दिन विकास को पता चला कि शनि और उसकी नानी दोनों आज घर पर नहीं है। घर में बस बुढ़े मौसा (मोतीलाल पाल) और उनकी नातिन है। इसिलिये आराम से घटना किया जा सकता है। तब वह तुरन्त वहा से निकल आया और उसने इस सम्बन्ध में सभी अभियुक्तों को पूरी जानकारी दी। तत्पश्चात सभी लोग खुशहालगंज स्थित टिनशेड (अड्डा) पर इकठ्ठा हुये तब उन्होंने कार और एक मोटर साइकिल का प्रयोग कर घटना स्थल पहुचे। चूंकि विकास जो पीड़ित मोतीलाल का सगा भांजा है, घटना के 05-06 दिन पूर्व 01 अक्टूबर को रात्रि में वहां रुका था और उसे पता था कि घर का दूसरी मंजिल जो अभी निर्माणाधीन है और वहां अभी दरवाजा भी नहीं लगा है। सीढ़ी पर भी दरवाजा नहीं लगा है तथा घर के बाहर बांस के पाड़ (मजदूरों के द्वारा गृह निर्माण के कार्य के लिए बनायी जाने वाली बास की सीढ़ी) से आराम से अन्दर आया जा सकता है। अतः विकास उसी बास के पाड़ से दूसरी मंजिल पर चढ़ कर सीढ़ी के रास्ते से नीचे उतर आया और घर के मुख्य दरवाजे को खोल दिया। ताकि सारे अभियुक्त आसानी से अन्दर आ सके।
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इसके बाद सभी बदमाशों ने मोतीलाल एवं उसकी नातिन को कब्जे में कर लिया और उनके हाथ पैर बांध दिये तथा आलमारी की चाभी मांगी चूंकि आलमारी की चाभी मोतीलाल के पत्नी के पास थी जो अपने दामाद के पास गयी हुई थी। अतः उन्हें वह चाभी नहीं मिली तब उन्हीं में से एक आरोपी जिसका नाम तरुण बाजपेयी है और वह पहले भी विकास के साथ मोतीलाल के घर पर कई बार आ चुका है। उसने नातिन का नाम लेकर कहा कि चाभी इसी के पास है क्योंकि उसको पता है कि मोतीलाल सबसे ज्यादा भरोसा अपने नातिन पर ही करता है और आलमारी की चाभी उसी के पास रहती है। लेकिन संजोग से उस दिन आलमारी की चाभी उसके पास नहीं थी। तब आरोपियों ने आलमारी को लोहे के राड एवं ईट से तोड़ कर पैसा एवं जेवरात निकाल लिये। तत्पश्चात खुशहालगंज अड्डे पर पहुंचे जहां पर उन्होंने रुपये का बंटवारा किया तथा वादी के घर से छीने गये एक फोन को वहीं फेंक दिये। घटना में प्रयुक्त असलहा वकील संजय बाजपेयी ने अपने भांजे नमन मिश्रा को दिया था और एक असलहा सरवन लेकर आया था।
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