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डीआरडीओ ने विकसित किया एआई मॉडल का ऍल्गोरिथम, अब नहीं कराना पड़ेगा सीटी स्कैन

नई दिल्लीः अब संदिग्ध मरीजों में से कोविड पॉजिटिव की पहचान सिर्फ छाती का एक्स-रे कर की जा सकेगी। इसके लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) ने ऐसे एआई मॉडल के ऍल्गोरिथम का विकास किया है, जिससे कोविड-19 का पता लगाने में मदद मिल सकेगी। यह हमारे देश के छोटे शहरों में सीटी स्कैन की आसान पहुंच के अभाव में बहुत ही उपयोगी उपकरण साबित हो सकता है।

देश में बढ़ते कोविड संकट के दौरान रोजाना लाखों लोग संक्रमित हो रहे हैं। पिछले तीन दिनों से लगातार 4 लाख से अधिक कोरोना केस सामने आ रहे हैं और अब कोविड की चपेट में आकर लोगों के मरने की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। अभी तक आरटी-पीसीआर टेस्ट में भी कोविड का संक्रमण पकड़ में न आने पर सीटी स्कैन की मदद ली जा रही है, लेकिन हाल ही में कोविड-19 के हल्के संक्रमण मामलों में सीटी स्कैन के नुकसान को लेकर दिल्ली एम्स के के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने चेताया है। हालांकि इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन (आईआरआईए) का डॉ. गुलेरिया के दावे पर कहना है कि कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी या सीटी स्कैन हानिकारक नहीं हैं।

सीएआईआर के निदेशक डॉ. यूके सिंह ने कहा कि इस उपकरण का विकास डीआरडीओ के प्रयासों का हिस्सा है ताकि कोविड-19 रोगियों का तेजी और प्रभावी ढंग से इलाज करने में फ्रंटलाइन वर्कर्स और चिकित्सकों को मदद मिल सके। एल्गोरिदम उपकरण में लगा टूल छाती की स्क्रीनिंग 96.73 प्रतिशत की सटीकता के साथ करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोरोना संक्रमण की सीमित परीक्षण सुविधाओं को देखते हुए एक्स-रे का उपयोग करके त्वरित विश्लेषण के लिए एआई उपकरण विकसित किया गया है। इसका टूल स्वचालित रूप से एक्स-रे का उपयोग करके कुछ ही सेकेंड में रेडियोलॉजिकल निष्कर्षों का पता लगाने में मदद करेगा। इससे चिकित्सक और रेडियोलॉजिस्ट और अधिक प्रभावी ढंग से कोविड मरीजों का इलाज कर सकेंगे।

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डीआरडीओ और सीएआईआर ने इस उपकरण को विकसित करने से पहले आरटी-पीसीआर टेस्ट के जरिये पॉजिटिव मिले रोगियों के छाती के डिजिटल एक्स-रे का एआई मॉडल के ऍल्गोरिथम से रोग के विभिन्न चरणों में विश्लेषण किया। इस बीच देश में रेडियोलॉजिस्ट के एक डिजिटल नेटवर्क ने देश के लगभग 1000 अस्पतालों में इस उपकरण का उपयोग करने का निर्णय लिया है। यह उपकरण देश के दूरस्थ जिलों में आम लोगों के लिए भी आसानी से सुलभ हो सकता है, जिससे समय पर कोविड मरीजों की देखभाल करके उन्हें उचित उपचार दिया जा सकेगा।

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