Hapur: बिना फायर एनओसी के धड़ल्ले से चल रहे दर्जनों अस्पताल, जिम्मेदार मौन

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हापुड़ः यूपी के लाख दावे से बाद उत्तर प्रदेश की स्वस्थ्य व्यवस्थाएं राम भरोसे चल रही है। यूपी के हापुड़ जिले में अस्पतालों की भरमार है। हापुड़ में करीब 119 अस्पतालों व क्लीनिकों का संचालन किया जा रहा है। जिनमें 80 निजी जबकि 39 राजकीय अस्पताल शामिल। लेकिन इन अस्पताल में आग के कोई इंतजाम नहीं हैं। अगर फायर एनओसी (FIRE No Objection Certificate) की बात करें तो केवल 8 अस्पताल को ही प्राप्त है। ऐसे में यहां कोई हादसा हुआ तो गंभीर होगा। इतना ही नहीं इन अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग व फायर अफसरों का पूरा संरक्षण मिला है।

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बताते चलें कि कुछ दिन पूर्व आगरा के अस्पताल में आग लगने की घटना हुई थी, जिसमें काफी जानमाल का नुकासान हुआ था। ऐसी घटना हापुड़ में भी घट सकती है। उसके बाद भी अस्पताल फायर की एनओसी नहीं ले रहे हैं। हालांकि कई अस्पतालों में आग बुझाने के उपकरण तो मौजूद हैं, लेकिन अगर फायर विभाग की अनापत्ति प्रमाण पत्र की बात करें तो 111 अस्पतालों पर अभी भी फायर एनओसी नहीं है। ऐसे में अगर किसी अस्पताल व क्लीनिक में कोई हादसा तो उसकी जिम्मेदारी आखिर किसकी होगी।

खानापूर्ति के नाम पर भेज दी जाती है नोटिस

उधर अग्निशमन विभाग द्वारा मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखकर बिना एनओसी के संचालित हो रहे अस्पतालों व क्लिनिक का पंजीकरण निरस्त करने की मांग भी कई बार की जा चुकी है। बावजूद इसके कोई भी कार्यवाई किसी अस्पताल पर नहीं की जा रही है। हालांकि अग्निशमन विभाग समय-समय पर अस्पतालों में मॉक ड्रिल वह आग बुझाने के इंतजामों की अवश्य जांच पड़ताल करता रहता है। हालांकि खानापूर्ति के नाम पर नोटिस जरुर भेजे जाते हैं। शहर के कई अस्पतालों में सालों से फायर ब्रिगेड की एनओसी नहीं ली गई है।

वही जनपद के वरिष्ठ अधिकारियों को ऐसे अस्पतालों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाई करनी चाहिए। क्योंकि ऐसे अस्पताल वहां आने वाले मरीजों के ठीक करने की वजह कहीं मौत देकर वापस ना भेजें। क्योंकि जहां अस्पतालों में रोज हजारों की संख्या मैं मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं, तो उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी आखिर किसकी है ? यह एक बड़ा सवाल खड़ा होता है ? क्योंकि सभी विभाग केवल नोटिस देकर अपना अपना पल्ला यू ही झाड़ लेते हैं।

(रिपोर्ट – सुनील गिरि, हापुड़)

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