हड्डियों में जकड़न और दर्द हो तो सावधान हो जाएं, हो सकता है ‘बोन टीबी’

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वाराणसी: शरीर की हड्डियों में लगातार जकड़न और दर्द बना हुआ है तो इसकी अनदेखी न करें। तुरन्त चिकित्सक को दिखायें। यह बोन टीबी (TB) का लक्षण भी हो सकता है। घबराने की कोई जरूरत नही है। इसका इलाज सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क किया जा रहा है।

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जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह बताते हैं कि वैसे तो टीबी (TB) मुख्य रूप से फेफड़ों, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। लेकिन कुछ मामलों में यह नाखून व बालों को छोड़कर शरीर के अन्य किसी भी अंग में भी हो सकता है। हड्डियों में होने वाले टीबी को मस्कुलोस्केलेटल टीबी भी कहा जाता है। राहुल सिंह बताते है कि टीबी दो तरह की होती हैं। पहला पल्मोनरी टीबी और दूसरा एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी। जब टीबी (TB) फैलता है, तो इसे एक्स्ट्रापल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस (ईपीटीबी) कहा जाता है। ईपीटीबी के ही एक रूप को हड्डी व जोड़ की टीबी के नाम से भी जाना जाता है। बोन टीबी हाथों के जोड़ों, कोहनियों और कलाई ,रीढ़ की हड्डी, पीठ को भी प्रभावित करता है।

बोन टीबी के कारण –

किसी क्षय रोग से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी बोन टीबी (TB) हो सकता है। टीबी हवा से माध्यम से भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। टीबी रोगी के संपर्क में आने के बाद यह फेफड़ों या लिम्फ नोड्स से रक्त के माध्यम से हड्डियों, रीढ़ या जोड़ों में जा सकता है।

बोन टीबी के लक्षण –

बोन टीबी (TB) के लक्षण शुरुआती दौर में नजर नहीं आते हैं। शुरुआत में इसमें दर्द नहीं होता है लेकिन जब व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हो जाता है, तो उसमें इसके लक्षण दिखाई देने लगते है। इनमें जोड़ों का दर्द, थकान, बुखार, रात में पसीना, भूख न लगना, वजन का कम होना आदि शामिल हैं।

बोन टीबी का उपचार –

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह कहते हैं बोन टीबी का उपचार पूरी तरह संभव है। इसका निःशुल्क उपचार किया जाता है और दवाएं भी सभी सरकारी चिकित्सालयों में मुफ्त दी जाती हैं। इतना ही नहीं निक्षय पोषण योजना के तहत पोषण के लिए पांच सौ रुपये की धनराशि प्रतिमाह मरीज के खाते में सीधे स्थानान्तरित किये जाते हैं। दवाओं, परहेज और पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहर लेने से बोन टीबी पूरी तरह ठीक हो जाता है। डा. राहुल सिंह बताते हैं कि तमाम लोग जो कोहनियों के न खुलने, घुटनों के न मुड़ने अथवा हड्डियों की अन्य समस्या को वह शुगर बढ़ने के कारण मान लेते हैं, जबकि ऐसे लोगों को यह समस्या ‘बोन टीबी’ (TB) के कारण भी हो सकती है। सही समय से उपचार न होने से मरीज के अपाहिज होने का खतरा रहता है।

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