नई दिल्लीः हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का विशेष महत्व है। यूं तो साल भर कई त्योहार और व्रत मनाये जाते हैं। लेकिन होली और दीवाली पर्व को सनातन धर्म में बड़ा पर्व माना गया है। इस वर्ष होलिका दहन सात मार्च और होली का पर्व आठ मार्च को मनाया जाएगा। होली के आठ दिन पहले होलाष्टक प्रारंभ हो जाता है। आठ दिनों के होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नही किये जाते हैं। होलिका दहन के बाद से शुभ कार्यो की शुरूआत होती है। इस साल होलाष्टक 28 फरवरी से शुरू हो रहा है। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक होलाष्टक की अवधि के दौरान सभी ग्रह उग्र स्वभाव के हो जाते हैं। ऐसे में उनकी चाल को शुभ नहीं माना जाता। इसलिए इस दौरान किये गये शुभ कार्यो के दुष्परिणाम का खतरा बना रहता है। होलाष्टक के दौरान आठ दिनों तक भगवान श्रीहरि की आराधना शुभ फलदायी होती है।
कब लग रहा है होलाष्टक
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक प्रारंभ होगा और फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के साथ इसका समापन होगा। इस तरह होलाष्टक 28 फरवरी 2023 (मंगलवार) को लग रहा है और समापन 07 मार्च (मंगलवार) को होगा।
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होलाष्टक के दौरान न करें यह कार्य
होलाष्टक के दौरान यज्ञ और हवन की मनाही रहती है। इसके साथ ही इस अवधि में व्यापार में निवेश भी अशुभ फलदायी माना जाता है। इस दौरान निवेश के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं।
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक होलाष्टक में विवाह, मुंडन, नामकरण, उपनयन संस्कार और गृह-प्रवेश भी वर्जित किया है। इसके साथ ही इस अवधि में 16 शुभ अनुष्ठानों की भी मनाही है।
होलाष्टक के दौरान मकान के निर्माण कार्य की शुरूआत भी नहीं करनी चाहिए। साथ ही नया वाहन, सोने-चांदी के जेवर, चल-अचल संपत्ति या नया मकान भी नहीं खरीदना चाहिए।
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