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10 साल पहले संत ने ली थी समाधि, भक्तों को आज भी लौटने का इंतजार...

Ashutosh Maharaj Samadhi , नई दिल्ली: आपने संत-महात्माओं के चमत्कारों के बारे में सुना और देखा होगा। आज हम आपको एक ऐसे ही संत के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने 10 साल पहले समाधि ली थी। जिनके लौटने का भक्तों का आज भी इंतजार है। दरअसल, हम बात कर रहें है दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक संत आशुतोष महाराज की जो 28 जनवरी 2014 को समाधि में लीन हुए थे। हालांकि समाधि में जाने से पहले उन्होंने अपने शिष्यों से कहा था कि वह दोबारा इसी शरीर में लौटेंगे। वहीं संत आशुतोष महाराज की इस बात पर विश्वास करते हुए शिष्यों ने उनके शरीर को आज भी सुरक्षित रखा है। अब दस साल बाद उनकी शिष्या साध्वी आशूतोषाम्वरी ने समाधि में जाकर गुरु जी को वापस लाने को कहा।

अब गुरु मां आशुतोषाम्वरी ने ली समाधि 

दरअसल 28 जनवरी को उनकी शिष्या आशूतोषाम्वरी ने गुरु जी को वापस लाने के लिए समाधि ले ली है। साध्वी गुरु मां आशुतोषाम्वरी ने लखनऊ के आनंद आश्रम में 7 दिन पहले समाधि ली है। समाधि के ठीक पहले उन्होंने विडियो के माध्यम से अपने शिष्यों को संदेश दिया कि, वो समाधि में जाकर अपने गुरु जी (संत आशुतोष महाराज) को अपने शरीर में वापस लाएंगी। वहीं अब उनके शिष्य गुरु मां आशूतोषाम्वरी के शरीर को सुरक्षित रखने के लिए कोर्ट पहुंच गए हैं। ये भी पढ़ें..‘उन्हें सीधे तौर पर प्रोड्यूसर के साथ सोने की…’ कास्टिंग काउच पर Ankita Lokhande का हैरान करने वाला खुलासा

कहां रखा है शरीर को सुरक्षित

बता दें कि आशुतोष महाराज (ashutosh maharaj samadhi ) के शरीर को उनके भक्तों ने पंजाब के जालंधर के नूर महल में एक डीप फ्रीजर में रखा है। 28 जनवरीं 2014 को महाराज अपना शरीर त्याग चुके हैं। मेडिकल रिपोर्टस् के मुताबिक उनका निधन हो चुका है। लेकिन उनके शिष्यों ने इस समाधि को ब्रहम्ज्ञान की साधना बताते हुए दावा दिया कि, महाराज फिलहाल अंर्तध्यान हुए है।

शरीर पर हो रहें करोड़ों रुपये हो रहे खर्च

दरअसल महाराज जी के शरीर को जिस जालंधर के नूर महल के डीप में रखा गया है, वहां गेट पर हाई सिक्योरिटी को तैनात किया गया है। इसके लिए संस्थान की तरफ से उनकी रोटेशनल शिफ्ट भी लगाई जाती है। यहां पर आम लोगों के आने-जाने की सख्त मनाही है। इसके अलावा पंजाब पुलिस को भी उनकी सुरक्षा के लिए लगाया गया है। यहां के सुरक्षा व्यवस्था के इंतजामों पर करोड़ों रुपये खर्च होनें का दावा किया जाता है।

कौन हैं संत आशुतोष महाराज?

उल्लेखनीय है कि 1946 में बिहार के मधुबनी में एक ब्राह्मण परिवार में जन्में आशुतोष महाराज के बचपन का नाम महेश कुमार झा था। कहा जाता है कि वह जर्मनी में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहे थे, लेकिन उन्होंने इसे बीच में ही छोड़ दिया था। इसके बाद वह हिमालय और वाराणसी गए जहां कई साधु-संतों और गुरुओं से उन्होंने आध्यात्मिक शिक्षा हासिल की। खबरों की माने तो संस्थान के पास 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)