इलाज नहीं मिलने से मां की गोद में बच्चे की मौत के मामले में जिला प्रशासन ने दी सफाई

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जबलपुर: जबलपुर के बरगी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में बुधवार को एक पांच वर्षीय बालक ऋषि गौंड ने इलाज नहीं मिलने से मां की गोद में ही दम तोड़ दिया था। गुरुवार को इसका वीडियो वायरल हुआ, जिसमें अस्पताल के बाहर मां अपने बच्चे को लेकर रोती-बिलखती नजर आ रही थी। जिला प्रशासन ने गुरुवार शाम को ग्राम तिन्हेटा देवरी निवासी पांच वर्षीय ऋषि गौंड की मृत्यु के संबंध में वस्तु स्थिति स्पष्ट की है।

जबलपुर एसडीएम पीके सेनगुप्ता ने बताया कि बच्चे को उसके परिजन मृत अवस्था में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बरगी लेकर आये थे। बच्चे के बांये पैर के घुटने पर जलने के दो-तीन दिन पुराने घाव थे और वह पिछले पांच-छह दिन से उल्टी-दस्त की बीमारी से भी ग्रसित था।

एसडीएम के मुताबिक कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी. के निर्देश पर इस प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ की गई जांच में यह पाया गया कि ऋषि को उनके परिजनों द्वारा 31 अगस्त को सुबह 10.15 बजे मृत अवस्था में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बरगी लाया गया था। उस समय स्वास्थ्य केन्द्र में डॉ. लोकेश श्रीवास्तव मौजूद थे। डॉ. श्रीवास्तव ने मृत अवस्था में लाये गये बच्चे का विधिवत परीक्षण भी किया। इस दौरान उसकी आंखों की पुतलियां फैली हुई थीं तथा पल्स बंद पाई गई थीं।

एसडीएम ने बताया कि बच्चे को मृत अवस्था में लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे बच्चे के बांये पैर में जलने के घाव भी थे। अस्पताल के रजिस्टर में भी स्टॉफ नर्स द्वारा brought dead दर्ज किया गया था। बच्चे के पिता को पोस्टमार्टम कराने कहा गया, लेकिन उनके द्वारा मना कर दिया गया और शव को लेकर चले गये।

एसडीएम सेन गुप्ता ने बताया कि जांच दल द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बरगी के स्टॉफ से मिली जानकारी और उनके दर्ज किये गये बयानों में स्पष्ट हुआ कि पिछले 5-6 दिनों से वह दस्त की बीमारी से पीड़ित भी था लेकिन उसके परिजनों द्वारा मिडकी, चरगंवा, गंगई और कोहला स्वास्थ्य केन्द्र और यहां तक कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडीकल कॉलेज और सुखसागर मेडीकल कॉलेज समीप होने के बावजूद प्राइवेट में कहीं अन्यत्र ईलाज कराया जा रहा था।

एसडीएम के अनुसार 31 अगस्त को प्रात: 8 बजे से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र बरगी में मौजूद एएनएम जयश्री मालवीय एवं सफाई कर्मी मुन्नी बाई ने अपने बयान में बताया कि बच्चे के पिता द्वारा स्वास्थ्य केन्द्र में पर्ची भी बनवाई गई, लेकिन जब उन्हें बताया गया कि बच्चा पूर्व से ही मृत है तब उनके द्वारा उस पर्ची को फाड़कर फेंक दिया गया।

एसडीएम पीके सेनगुप्ता के अनुसार उनके और तहसीलदार द्वारा बच्चे के पिता से भी फोन पर इस बारे में बातचीत की गई। बातचीत में बच्चे के पिता द्वारा बताया गया कि बच्चे के पैर जलने का इलाज तहसील शहपुरा स्थित पटी चरगंवा में किसी निजी चिकित्सक के यहां दो-तीन दिन से चल रहा था। पिता से जब पूछा गया कि बच्चे को उल्टी दस्त की बीमारी का ईलाज वहां क्यों नहीं कराया गया इसका उसने कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया।

एसडीएम ने बताया कि इस प्रकरण की तथ्यात्मक जानकारी लेने बरगी स्वास्थ्य केन्द्र पहुंची जिला चिकत्सालय के चिकित्सकों की टीम ने जलने से पैर में हुए घाव और इस वजह से फैले इंफेक्शन से बच्चे की मृत्यु होने की संभावना व्यक्त की है।