Thursday, November 7, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeछत्तीसगढ़धान की फसलों में तेजी से बढ़ रही बीमारी, किसानों के माथे...

धान की फसलों में तेजी से बढ़ रही बीमारी, किसानों के माथे पर चिंता की लकीर

धमतरी: तैयार हो रही फसल में अब किसान लाई, तना छेदक, बांकी जैसी बीमारियों से परेशान हैं। तेजी से बढ़ रही फसल को बीमारियों से बचाने के लिए खेतों में दवा का छिड़काव करने के बाद भी किसानों को राहत नहीं मिल रही है। किसान अब धान के पौधों (paddy crops) में बीमारियों के हमले से संभावित नुकसान का आकलन कर रहे हैं। एक तरफ कई किसान खरीफ की फसल ले रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ कई किसान ऐसे भी हैं जिनकी फसल तैयार हो रही है। धान की कटाई से ठीक पहले तैयार हो रही फसल में आई बीमारी ने किसानों को निराश कर दिया है।

कीटनाशक के छिड़काव के बाद भी राहत नहीं

शहर से लगे कई गांवों में इस बीमारी ने धान की फसल को बर्बाद करना शुरू कर दिया है। कई एकड़ खेतों में धान की फसल में यह बीमारी फैल चुकी है। ग्राम भटगांव समेत अन्य गांव देमार के खेतों में धान की फसल में लाई फटने की बीमारी लग गई है। ग्राम भटगांव के किसान अर्जुन साहू और इर्रा के वेदप्रकाश साहू ने बताया कि इस वर्ष खेत में तैयार हो रही धान की फसल को रोग लगने से नुकसान होना तय है। धान की फसल को लाई फटने की बीमारी से बचाने के लिए हमने टिल्ट नामक कीटनाशक का छिड़काव किया है, लेकिन फिर भी कोई राहत नहीं मिल रही है। ग्राम भटगांव के किसान मोहित देवांगन और लुकेश साहू की फसल भी इस बीमारी से प्रभावित है।

paddy crops में हर साल लागत बढ़ने से भी किसान परेशान

दवा के छिड़काव से भी राहत नहीं मिली है। लागत निकल जाए तो काफी है। ग्राम देमार के दिनेश कुमार साहू और संतोष सिन्हा ने बताया कि तेज हवाओं के कारण फसल पहले ही खेत में गिर गई है, जिससे धान की बालियां खेतों में गिर रही हैं। उमाशंकर साहू, शत्रुघ्न साहू, पूनमराम ढीमर ने बताया कि तेज हवाओं के कारण धान की फसल खेतों में गिर गई है, जिससे उत्पादन प्रभावित होगा। हर साल धान तैयार होने के बाद ऐसी स्थिति बनती है।

जिससे काफी नुकसान होता है। इससे प्रति एकड़ आठ से 10 क्विंटल धान खराब हो जाता है। विजय साहू ने बताया कि धान की लागत हर साल बढ़ती जा रही है। ऐसे में खेती करना मुश्किल होता जा रहा है। हम पहले ही निराई-गुड़ाई और दवा के छिड़काव में काफी खर्च कर चुके हैं। एक बार फिर धान की फसल को बचाने के लिए इधर-उधर भागना पड़ रहा है। दवा विक्रेता भुवन दिवाकर ने बताया कि पिछले एक पखवाड़े से किसान धान के फटने की शिकायत लेकर दवा खरीदने आ रहे हैं। पिछले कई सालों में इस तरह की बीमारी आम हो गई है।

यह भी पढ़ेंः-Raipur: प्रोफेसर बता रिटायर्ड टीचर से साइबर ठगो ने ऐंठे 33 लाख रुपये, ऐसे दिया लालाच

फफूंद से होने वाला संक्रमण है ‘लाई फुटना’

यह एक फफूंद जनित बीमारी है। तैयार हो रहे धान की बालियां फट जाती हैं और दाने बन जाते हैं। इसे आम भाषा में ‘लाई फुटना’ कहते हैं। इससे धान का पूरा बीज खराब हो जाता है। इससे बचाव के लिए खेत की मेड़ों की सफाई जरूरी है। खेत में लंबे समय तक पानी जमा रहने से भी फसल प्रभावित होती है। विशेषज्ञों से सलाह लेकर ही कृषि दवा का छिड़काव करें। इसकी रोकथाम के लिए जब धान फली अवस्था में हो या एक प्रतिशत धान की बालियां निकलने वाली हों, तब एहतियात के तौर पर 200 मिली लीटर टेरपीकोनाजोल कीटनाशक को पानी में मिलाकर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करना चाहिए।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें