कोलकाताः पश्चिम बंगाल से सटी भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को डराने धमकाने के तृणमूल कांग्रेस के आरोपों पर भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार किया है। गुरुवार दोपहर केंद्रीय चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा से मुलाकात करने के बाद बाहर निकले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने मीडिया से बात की।
उन्होंने कहा कि तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने बीएसएफ जवानों पर बंगाल के सीमावर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा को वोट देने के लिए लोगों पर दबाव बनाने संबंधी जो आरोप लगाए हैं वे पूरी तरह से निराधार हैं। बीएसएफ सीमा क्षेत्रों में अपना काम कर रही है। हकीकत यह है कि बंगाल पुलिस पक्षपात करती है और राज्य सरकार के पक्ष में मतदान के लिए लोगों पर दबाव बनाती है।
उन्होंने बताया कि सुनील अरोड़ा से मिलकर बंगाल में शांतिपूर्ण निष्पक्ष चुनाव कराने की मांग उन्होंने की है। उनकी यह मांग भी है कि मतदान केंद्रों के अंदर केंद्रीय बलों की तैनाती होनी चाहिए जबकि बाहर पुलिस को तैनात किया जाना चाहिए।
अमूमन ऐसा होता है कि चुनाव के समय मतदान केंद्रों के बाहर सुरक्षा की जिम्मेवारी केंद्रीय बलों के जवानों की होती है जबकि अंदर देखरेख और सुरक्षा की जिम्मेवारी राज्य पुलिस कर्मियों को दी जाती है। आरोप लगते हैं कि मतदान केंद्र के अंदर वोट देने वाले लोगों को डराने और बूथ कैपचरिंग में अंदर मौजूद राज्य पुलिस के जवान मदद करते हैं। इसी को देखते हुए दिलीप घोष ने मतदान केंद्रों के अंदर सेंट्रल फोर्स के जवानों की तैनाती की मांग की है।
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हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने घोष के इस दावे पर सवाल खड़ा किया है। पार्टी ने पूछा है कि अगर ऐसा है तो लोकसभा चुनाव में मतदान केंद्रों के अंदर राज्य पुलिस के जवान मौजूद थे लेकिन भाजपा की सीटों की संख्या कैसे बढ़ गयी?