Digital Arrest: देश में बढ़ते साइबर अपराध और डिजिटल गिरफ्तारी के मामलों को लेकर गृह मंत्रालय (एमएचए) ने बुधवार को एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा सचिव इस समिति की निगरानी कर रहे हैं।
दरअसल, पीएम मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 115वें एपिसोड में देशवासियों को ‘डिजिटल अरेस्ट’ ( Digital Arrest) को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी थी। इसके साथ ही उन्होंने साइबर फ्रॉड (Cyber fraud) से बचने के लिए ‘रुको-सोचो-कार्रवाई करो’ का मंत्र भी दिया था।
Digital Arrest: गृह मंत्रालय ने उठाया बड़ा कदम
पीएम मोदी की सलाह के बाद गृह मंत्रालय ने डिजिटल अरेस्ट और साइबर धोखाधड़ी (Cyber fraud) के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया। डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। बताया जा रहा है कि डिजिटल गिरफ्तारी की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। सूत्रों की मानें तो डिजिटल गिरफ्तारी की घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
इसके अलावा गृह मंत्रालय की 14सी विंग ने सभी राज्यों की पुलिस से भी संपर्क किया है। गृह मंत्रालय की 14सी विंग डिजिटल गिरफ्तारी की केस-टू-केस निगरानी करेगी। मालूम हो कि इस साल डिजिटल गिरफ्तारी से जुड़ी 6,000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज की गई हैं। गृह मंत्रालय की साइबर विंग ने अब तक 6 लाख मोबाइल ब्लॉक किए हैं। ये सभी फोन साइबर फ्रॉड और डिजिटल गिरफ्तारी की घटनाओं में शामिल थे।
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Cyber fraud से जुड़े 3.25 लाख फर्जी बैंक भी फ्रीज
इसके अलावा 14सी विंग ने अब तक 709 मोबाइल एप्लीकेशन भी ब्लॉक किए हैं। इतना ही नहीं साइबर फ्रॉड में शामिल 1 लाख 10 हजार IMEI ब्लॉक किए गए हैं। साथ ही साइबर फ्रॉड से जुड़े 3.25 लाख फर्जी बैंक भी फ्रीज किए गए हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में लोगों को डिजिटल गिरफ्तारी और साइबर फ्रॉड की घटनाओं के बारे में जागरूक किया था।
पीएम मोदी ने Digital Arrest को लेकर किया सतर्क
प्रधानमंत्री मोदी ने डिजिटल गिरफ्तारी का फ्रॉड करने वालों के बारे में कहा कि उनकी पहली चाल यह होती है कि वे आपकी सारी निजी जानकारी इकट्ठा कर लेते हैं। उनकी दूसरी चाल होती है डर का माहौल बनाना। वे आपको फोन कॉल पर इतना डरा देंगे कि आप कुछ सोच ही नहीं पाएंगे। इसके बाद जालसाज समय की कमी का बहाना बनाकर इतना मनोवैज्ञानिक दबाव बनाते हैं कि व्यक्ति डर जाता है और डिजिटल गिरफ्तारी का शिकार हो जाता है।