अनाथ बच्चों की जिंदगी बचा रहीं राजधानी की ‘धात्री’ महिलाएं

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लखनऊः मां का दूध शिशु को सर्वोत्तम पोषण तथा बीमारियों से संरक्षण प्रदान करता है। अधिकतर शिशुओं के लिए पहले 6 महीने तक मां का दूध ही काफी होता है, लेकिन कुछ बदनसीब बच्चों को मां का दूध नसीब नहीं हो पाता है। डिलीवरी के दौरान मां की मौत या लावारिस सड़क पर मिले बच्चे ऐसी ही कैटगरी में आते हैं। ऐसे बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक खुराक देने के लिए राजधानी की करीब 800 से ज्यादा मांओं ने दूसरों के कलेजे के टुकड़ों की जिंदगी बचाने में अपना अहम योगदान दिया है। इन मांओं ने अपने सीने से दूध निकालकर बिना मां के बच्चों के लिए सुरक्षा कवच बनाया है।

केजीएमयू प्रदेश के पहले ह्यूमन मिल्क बैंक का संचालन पिछले 2 सालों से सफलतापूर्वक कर रहा है। जो शिशुओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। मार्च-अप्रैल में जब पूरे देश समेत राजधानी लखनऊ में कोरोना जैसी महामारी मानव जाति पर कहर बन कर टूट पड़ी थी, तब भी मिल्क बैंक बच्चों के लिए सुरक्षा कवच बनकर अपना दायित्व निभाता रहा। अभी तक राजधानी की 800 से ज्यादा माताओं ने 230 लीटर से ज्यादा अपना दूध दान किया है। ह्यूमन मिल्क बैंक की प्रमुख व बाल रोग एक्सपर्ट डॉ. माला कुमार के मुताबिक, कोरोनाकाल में जनवरी 2021 से जून तक 152 शिशुओं को मां का 27.085 लीटर दूध उपलब्ध कराया गया है। अब तक 500 से ज्यादा शिशु इससे लाभान्वित हो चुके हैं। वहीं डॉ. शालिनी त्रिपाठी ने बताया कि मौजूदा 2021 में कुल 206 माताओं ने अपना कुल 109.381 लीटर दूध दान किया है। इसमें इस जनवरी से मार्च तक 129 महिलाओं ने 77.796 लीटर और अप्रैल से जून तक 77 महिलाओं ने 31.585 लीटर दूध दान कर अपना योगदान किया है।

प्रसूताओं की कांउसिलिंग

डॉ. शालिनी त्रिपाठी के मुताबिक, प्रसूताओं को लगातार कांउसिलिंग दी जा रही है। अब तक 10 हजार से ज्यादा मांओं को दूध देने के लिए प्रेरित किया जा चुका है। उन्हें नियमित स्तनपान कराने के फायदे बताए गए हैं। इसके अलावा अगर दूध अधिक स्रावित हो रहा हो तो उसे मिल्क बैंक में जमा कर दूसरे नवजात बच्चों को सुरक्षा कवच देने के लिए कहा गया है। जिससे जरूरतमंद बच्चों को उचित पोषण मिल सकें। इसके अलावा कोरोनाकाल में अगर किसी मां को कोरोना हो गया है, तो एहतियात के साथ वह बच्चे को स्तनपान करा सकती है।

बेकार हो जाने वाले दूध को बचाने की कवायद

केजीएमयू स्थित ह्यूमन मिल्क बैंक का नाम धातु अमृत कलश रखा गया है। इसकी स्थापना मार्च 2019 में हुई थी, तब से लेकर अब तक हजारों महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए यह धातु अमृत कलश केंद्र वरदान बनकर सामने आया है। कई धात्री महिलाओं में शिशु के दूध पीने की क्षमता से ज्यादा दूध होता है, जो कि व्यर्थ चला जाता है। इसी व्यर्थ जाने वाले दूध को बचाने के लिए मिल्क बैंक कार्य कर रहा है।

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