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शिव-पार्वती की हल्दी में भावविभोर हुए भक्त, गाये मंगल गीत

mahashivratri-mankameshwar-mandir लखनऊ: महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व गोमती तट पर स्थापित प्राचीन श्रीमनकामेश्वर मंदिर में भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती के विवाहोत्सव की धूम मची रही। मंदिर की श्रीमहंत दैव्यागिरी की अगुवाई में भगवान शंकर और देवी को हल्दी और मेंहदी लगाई। सबसे पहले महंत जी ने ही हल्दी लगाकर विवाह रस्म की शुरूआत की । डालीगंज में गोमती नदी के तट पर स्थित मदिर प्रांगण में शुक्रवार का विवाह का पूरा उल्लास छाया हुआ था। वहां खूब सजाकर भगवान का विवाह मंडप बनाया गया था और उसके बीच में खम्ब भी लगाया गया था। इसके अलावा भगवान भोलेनाथ और गौरा जी के विवाह की दूसरी सारी तैयारियां भी चल रही थीं। मंदिर के सेवादारों में कुछ वरपक्ष के बने थे तो कुछ महिलाएं पार्वती जी की सखियाों का रूप धरे थीं। मंदिर के आंगन को कलश और रंगोली से सजाया गया था। ये भी पढ़ें..Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर करें महादेव के 108 नामों का जप, दूर हो जायेंगे जीवन के दुख-दर्द शहर की नटराजन लीला मंडली के कलाकारों में प्रदीप भगवान शंकर का रूप धरे थे। वहीं, गुड्डन ने देवी पार्वती का वेष रखा हुआ था। वे सब पूरे विवाह की लोक पावनी कथा को लीला मे रूप में दर्शा रहे थे, जिसका वहां आए भक्त रसपान कर रहे थे। महिलाएं ढोलक की थाप पर हल्दी और मेंहदी की रस्म पर गीत गा रही थीं। उपमा पाण्डेय, किरन कपूर, मालती, मधुुरिमा, ज्योति कश्यप, रेखा दुबे व पूजा ने सबमिल कर गाया ’ हल्दी लगाओ रे, मेंहदी लगाओं रे, गौरा का गोरा बदन चमकाओं रे.....,’। इसके अलावा मेंहदी रची भोले गौरा के हाथ....लोग मगन होकर भगवान की विवाहोत्सव को निहार रहे थे। श्रीमनकामेश्वर मंदिर की श्रीमहंत दैव्यागिरी ने महाशिवरात्रि पर सभी भक्तों को बधाई दी है। उन्होंने बताया कि विवाह मानव जीवन के 16 संस्कारों में एक महत्वपूर्ण संस्कार है। विवाह के बाद मनुष्य गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है, इसके बाद उसे गृहस्थ जीवन की मयार्दा के अनुकूल ही समाज में व्यवहार कर नियम पूर्वक जीवन जीना चाहिए। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)