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विश्वस्तरीय न्यायिक प्रणाली विकसित करना सरकार-न्यायपालिका की जिम्मेदारीः प्रधानमंत्री

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार और न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वे विश्व स्तर की न्यायिक प्रणाली विकसित करें, ताकि समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय आसानी से और समय पर मिल सके। गुजरात हाईकोर्ट के हीरक जयंती समारोह को ऑनलाइन संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वकीलों और मुकदमें करने वालों को एक क्लिक पर मामले की सभी जानकारी उपलब्ध होने से न्याय में आसानी हुई है।

उन्होंने कहा कि इस बात से विदेशी निवेशकों के बीच विश्वास बढ़ा है कि भारत में उनके न्यायिक अधिकार सुरक्षित हैं। 2018 में वर्ल्ड बैंक ने अपनी व्यापार रिपोर्ट में इस सहजता की और नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड की प्रशंसा की है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग न्यायिक प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने की प्रक्रिया का हिस्सा बनाने के लिए किया जा रहा है। एआई से न्यायपालिका की दक्षता और गति बढ़ेगी।

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश में डिजिटल तौर पर हुए विभाजन को खत्म करने और आम लोगों की मदद करने के लिए हाई कोर्ट और जिला अदालतों में ई-सेवा केंद्र खोले गए हैं। महामारी के चलते ऑनलाइन और ई-लोक अदालत अब न्यू नॉर्मल हो गया है। गुजरात की जूनागढ़ ई-कोर्ट अदालत में पहली लोक अदालत का आयोजन हुआ। उन्होंने आगे कहा कि ई-लोक अदालत आसानी के साथ समय पर न्याय दिलाने का माध्यम बन गया है। देश के 24 राज्यों में कई लाख मामले ई-लोक अदालतों में आ रहे हैं और सुलझ रहे हैं। हमारी न्यायिक प्रणाली में भी ऐसी ही गति, सुविधा और विश्वास की जरूरत है।