कैनबराः ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा में चल रहे राष्ट्रमंडल अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन (सीएसपीओसी) में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कोविड के दौरान भारत की संसद के उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी दी।
दरअसल, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश सीएसपीओसी में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं। सम्मेलन में उपसभापति ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान भारतीय संसद के उठाए गए कदमों का सिंहावलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारत में निर्मित टीकों की “वैक्सीन मैत्री” के रूप में दुनियाभर के विभिन्न देशों में आपूर्ति करने से भारत की वैश्विक छवि मजबूत हुई है।
उन्होंने कहा कि भारत की संसद ने कोविड महामारी से निपटने के लिए नवीन प्रथाओं को भी अपनाया। उन्होंने कहा कि भारतीय संसद ने वैश्विक महामारी से निपटने के लिए अपनी नीतिगत पहल में सरकार का समर्थन किया। भारतीय संसद के दोनों सदन इस अवसर पर एक साथ खड़े रहे और उन्होंने शीर्ष विधायी निकाय द्वारा महामारी के दौरान अपने संवैधानिक कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वहन सुनिश्चित किया।
उन्होंने कहा कि डिजिटल उपकरणों के माध्यम से संसद सदस्यों की भागीदारी और जनता से जुड़ाव में वृद्धि की है। इसके फलस्वरूप वे संसद की गतिविधियों को नागरिकों के करीब लाए हैं।
सम्मेलन में हरिवंश ने कहा कि साइबर स्पेस इको-सिस्टम को सुरक्षित करने के लिए साइबर अपराध, साइबर आतंकवाद और ऐसी अन्य समस्याओं से निपटने के लिए सहयोग की आवश्यकता है। भारत के मूल दर्शन, वसुधैव कुटुम्बकम पर प्रकाश डालते हुए हरिवंश ने कहा कि भारत निश्चित रूप से स्थायी वैश्विक शांति और साझा समृद्धि के लिए आगे बढ़ने के लिए वैश्विक समाज के साथ चलेगा।
इस सम्मेलन में उपसभापति के साथ लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के अधिकारी भी भाग ले रहे है। इस सम्मेलन का उद्देश्य राष्ट्रमंडल देशों में संसदों के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों को एक मंच पर लाना है। इस तरह का पिछला सम्मेलन जनवरी 2020 में कनाडा में आयोजित हुआ था और अगला सम्मेलन 2024 में युगांडा में प्रस्तावित है।