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शाहपुरा जिला हटाने के खिलाफ मुखर हुआ संत समाज, कहा- किसी भी सूरत में नहीं होगा…

भीलवाड़ा: राजस्थान में कुछ जिलों को हटाए जाने की अटकलों के बीच नवगठित शाहपुरा जिले के विभाजन की संभावना ने स्थानीय समुदाय में गहरी चिंता पैदा कर दी है। शाहपुरा (shahpura) के संत एवं रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर आचार्य श्रीरामदयालजी महाराज ने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

जिला बनाने के लिए कई साल किया इंतजार

अपने 69वें अवतरण दिवस के अवसर पर उन्होंने शाहपुरा को जिला बनाए रखने की पुरजोर वकालत की। शाहपुरा स्थित रामनिवास धाम में अवतरण दिवस समारोह में आचार्य ने कहा कि शाहपुरा महज एक प्रशासनिक इकाई नहीं, बल्कि यह तपोभूमि है, जिसका ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। उन्होंने कहा, शाहपुरा को जिला बनाने के लिए यहां के लोगों एवं संतों ने वर्षों तक इंतजार किया। यह हमारा अधिकार है, जिसे किसी भी हालत में छीना नहीं जाना चाहिए।

सांस्कृतिक विरासत को बचाना हमारी जिम्मेदारी

अपने संप्रदाय की गादी से जनसमुदाय को संबोधित करते हुए आचार्यश्री ने कहा, शाहपुरा स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाला स्थान रहा है। यह वही भूमि है, जहां देश में पहली बार उत्तरदायी शासन की स्थापना हुई थी। आजादी के बाद रियासतों के विलय के समय जिला बनने का पहला अधिकार शाहपुरा का था, लेकिन शाहपुरा की अनदेखी कर भीलवाड़ा को जिला बना दिया गया। अब जब शाहपुरा जिला बन गया है तो इसे बनाए रखना हमारा अधिकार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शाहपुरा के विकास और इसकी सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने के लिए इसे जिला बनाना सही फैसला है।

आचार्यश्री ने कहा कि अगर शाहपुरा को जिले से वंचित किया गया तो इससे यहां का विकास प्रभावित होगा। इस अवसर पर आचार्यश्री ने यहां के नेताओं, सांसदों और विधायकों से अपील की कि वे सभी मिलकर शाहपुरा को जिला बनाए रखने के लिए प्रयास करें। उन्होंने कहा कि प्रशासन से संवाद कर राज्य और केंद्र सरकार तक यह बात पहुंचाना जरूरी है कि शाहपुरा को जिला बनाए रखना लोगों की भावनाओं और उनकी आस्था का सम्मान है। स्वामी रामदयालजी महाराज ने अपने चातुर्मास और अवतरण दिवस का जिक्र करते हुए कहा कि ये धार्मिक आयोजन तभी सार्थक होंगे जब शाहपुरा जिला बना रहेगा।

बयान के बाद बढ़ी राजनीतिक हलचल

उन्होंने कहा कि यह तपोभूमि है और यहां के संतों, साधुओं और लोगों ने हमेशा तप और संघर्ष के माध्यम से अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई है। आचार्य श्री ने यह भी कहा कि शाहपुरा का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व किसी से कम नहीं है। यहां की भूमि न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। शाहपुरा की सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक आस्था और तपोभूमि की इस भूमि को जिला बनाए रखना जरूरी है, ताकि यहां के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को बचाए रख सकें।

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आचार्य श्री के इस बयान के बाद शाहपुरा में राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। जहां विधायक और अन्य नेता पहले से ही शाहपुरा को जिला बनाए रखने के पक्ष में आवाज उठा रहे थे, वहीं अब संत समाज के इस समर्थन से आंदोलन को और बल मिल रहा है।

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