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आरएसएस से जुड़े संगठनों की मांग, इन दो फैसलों पर दोबारा विचार करे सरकार

नई दिल्लीः मोदी सरकार के आम बजट पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आर्थिक सेक्टर में काम करने वाले दो प्रमुख संगठनों ने भी प्रतिक्रिया दी है। देश में आधारभूत संसाधनों पर भारी धनराशि खर्च कर अर्थव्यवस्था को बढ़ाने जैसे फैसलों की जहां संघ के संगठनों ने सराहना की है, वहीं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ाने और सार्वजनिक कंपनियों के निजीकरण और डिसइन्वेस्टमेंट जैसे फैसलों पर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से विचार करने की मांग की है। भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विनय कुमार सिन्हा ने कहा है कि दो पब्लिक सेक्टर बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी के विनिवेशीकरण (डिसइन्वेस्टमेंट) जैसे फैसले, आत्मनिर्भर भारत जैसी खूबसूरत योजना का आकर्षण कम करेंगे। चेन्नई में 12 से 14 फरवरी को होने वाली नेशनल एक्जीक्यूटिव काउंसिंल की मीटिंग में केंद्र सरकार के इस बजट पर संगठन आगे की रणनीति तय करेगा।

भारतीय मजदूर संघ ने कहा है कि पश्चिम बंगाल और असम के चाय बगानों के लिए विशेष स्कीमों से वहां काम करने वाले मजदूरों को लाभ होगा। सरकार के कई फैसले अच्छे हैं, लेकिन आत्मनिर्भर भारत जैसे खूबसूरत विचार के साथ विनिवेश और एफडीआई को मिलाना निराशाजनक है। इससे कर्मचारियों के हितों पर असर पड़ेगा। भारतीय मजदूर संघ ने कहा है कि इंश्योरेंस एक्ट में संशोधन कर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत किए जाने से विदेशी निर्भरता बढ़ेगी। इस पर सरकार को विचार करना चाहिए।

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उधर, संघ से जुड़कर आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठन स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा, बीपीसीएल, एयर इंडिया, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, पवन हंस, बीईएमएल आदि के डिइन्वेस्टमेंट के निर्णय पर सरकार को विचार करने की जरूरत है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों के निजीकरण की घोषणाएं चिंताजनक है। निजीकरण करने की जगह इन कंपनियों के प्रदर्शन को सुधारे जाने की जरूरत है। एफडीआई को बढ़ाए जाने से देश के बीमा और आर्थिक क्षेत्र पर विदेशी प्रभुत्व स्थापित होगा, यह दूरगामी कदम नहीं कहा जा सकता।