आर्थिक संकट में दिल्ली मेट्रो, लोन चुकाना भी बना चुनौती

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नई दिल्ली: दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) को कोरोनावायरस महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन के मद्देनजर 1,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। लॉकडाउन के दौरान लगभग छह महीने तक मेट्रो की सेवाएं बंद रहीं, जिससे यात्रियों से होने वाली इसकी आमदनी काफी बुरी तरीके से प्रभावित हुई।

इसी के साथ, मेट्रो की देखभाल के लिए इसके परिचालन और रखरखाव के खर्च का भार भी निरंतर उठाया जाता रहा, जो 285 स्टेशनों और पटरियों की कुल 389 किलोमीटर की लंबाई तक फैली हुई है। इसके साथ ही साथ मेट्रो की सेवाएं जिस वक्त बंद हुई थी, उस वक्त विज्ञापनों से होने वाली कमाई भी बंद हो गई थी और दुकानों से किराया मिलना भी बंद हो गया था।

डीएमआरसी के स्टेशनों पर लगभग 400 रिटेल आउटलेट्स हैं। अब बिक्री न होने के चलते दुकानों के मालिक ने किराया देने से भी इनकार कर दिया था। मेट्रो की सेवाएं भले ही पुन: बहाल कर दी गई है, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का ख्याल रखने के चलते इसमें पहले जैसी भीड़ देखने को नहीं मिल रही है, जिसका सीधा प्रभाव आमदनी पर पड़ रहा है।

इसके अलावा, दिल्ली मेट्रो ने 30 साल के लिए 1.2-2.3 प्रतिशत की रियायती दर पर जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) से 35,198 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन लिया हुआ है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए डीएमआरसी को 1,242.8 करोड़ रुपये का भुगतान करना है, जिसमें से 434.1 करोड़ रुपये ब्याज है, जबकि 808.7 करोड़ की राशि मूलधन है। हालांकि जुलाई, 2020 तक डीमआरसी ब्याज के रूप में केवल 79.2 करोड़ रुपये का ही भुगतान कर पाने के सक्षम रहा है।

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आर्थिक संकट के मद्देनजर डीएमआरसी ने केंद्र सरकार, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों से वित्तीय सहायता दिए जाने की मांग की है। डीएमआरसी ने केंद्र और राज्य सरकारों को पत्र लिखकर आर्थिक मदद के लिए अनुरोध किया है। अब देखना यह है कि क्या केंद्र और राज्य सरकारें डीएमआरसी के बचाव में आती है या नहीं।