यमुना को साफ करने के लिए दिल्ली सरकार का बड़ा कदम, इस परियोजना को मिली मंजूरी

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नई दिल्लीः दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुरुवार को यमुना विहार एसटीपी की क्षमता को बढ़ाने और यमुना तक साफ पानी पहुंचाने के लिए विशेष पाइपलाइन डालने की परियोजना के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

इस परियोजना के तहत यमुना विहार एसटीपी की क्षमता 45 एमजीडी से बढ़ाकर 70 एमजीडी की जाएगी। इस दौरान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आधुनिक तकनीक से अपग्रेड कर सीवेज के पानी को बेहतर तरीके से शोधित करने के निर्देश दिए, ताकि गंदे पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जा सके। परियोजना के पूरा होने पर पूर्वी दिल्ली की करीब 6 लाख आबादी को फायदा होगा। साथ ही पूर्वी दिल्ली के नाले में गंदे पानी के बहाव को कम करने में मदद मिलेगी।

शोधित पानी के पुनर्चक्रण और दोबारा इस्तेमाल पर दिया जाएगा जोर

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी के अलग अलग इलाकों में विभिन्न वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता बढ़ाने व यमुना की सफाई को लेकर चरणबद्ध तरीके से काम कर रही है। हमने यमुना नदी को 2025 में पूरा साफ करने का लक्ष्य रखा है। यमुना तक साफ पानी पहुंचे, इसके लिए यमुना विहार एसटीपी की क्षमता 45 एमजीडी से बढ़ाकर 70 एमजीडी की जाएगी।

शोधित पानी के पुनर्चक्रण और दोबारा उपयोग पर जोर देते हुए डिप्टी सीएम ने कहा कि एसटीपी से आने वाले ट्रीडेड पानी से न केवल यमुना को साफ करने में मदद करेगा, बल्कि अन्य चीजों के लिए भी बेहत उपयोगी है। इसे बागवानी और दिल्ली की झीलों का कायाकल्प करने आदि में इस्तेमाल किया जा सकेगा, ताकि पीने योग्य पानी की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके।

विशेष पाइपलाइन बिछने के बाद से यमुना में पहुंचेगा साफ पानी

केजरीवाल सरकार की ओऱ से यमुना विहार एसटीपी से यमुना नदी तक एक विशेष पाइपलाइन डाली जाएगी। वर्तमान में वहां एक पाइपलाइन पहले से ही बिछी हुई है, लेकिन सीमित क्षमता होने के चलते डीजेबी ने एक अन्य पाइपलाइन डालने की योजना बनाई है। इस पाइपलाइन के बिछने से ज्यादा से ज्यादा ट्रीटेड पानी यमुना तक पहुंच सकेगा। दिल्ली सरकार का यह कदम यमुना को 2025 तक साफ करने के लक्ष्य को भी पूरा करने में मददगार साबित होगा।

यमुना विहार एसटीपी में सीवर का पानी होगा अच्छे से ट्रीट

बैठक के दौरान उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने परियोजना के काम को समय सीमा के अंदर पूरा करने के लिए कहा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में यमुना विहार एसटीपी की क्षमता 45 एमजीडी है। इसकी क्षमता बढ़ने के बाद पूर्वी दिल्ली के ड्रेन-1 में गंदा पानी नहीं गिरेगा। ड्रेन-1 में प्रवाह कम होने से शाहदरा ड्रेन में गिर रहे गंदे पानी में कमी आएगी।

शाहदरा ड्रेन यमुना में प्रदूषण करने वाली प्रमुख 4 नालों में से एक है। इसके अलावा आधुनिक तकनीक से एसटीपी अपग्रेड होने के बाद गंदे पानी के बायोलॉजिकल ऑक्सीडेशन डिमांड (बीओडी) स्तर को शोधित कर 10 तक लाया जा सकेगा। परियोजना के पूरा होने के बाद इलाके के करीब 6 लाख आबादी को लाभ मिलेगी।

क्या है बीओडी और टीएसएस

दरअसल, सीवर के पानी की बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 250 तक होती है। गंदे पानी को शोधित कर 10 तक लाया जाता है। इसके बाद नाले में डाल दिया जाता है। सीवर के शोधित पानी में दो बातों को देखा जाता है। पहला, बीओडी और दूसरा सीओडी होता है। बीओडी ऑक्सीजन की मात्रा है जो एरोबिक स्थितियों के तहत कार्बनिक पदार्थों को विघटित करते हुए बैक्टीरिया द्वारा खपत होती है।

वहीं, सीओडी पानी में कुल कार्बनिक पदार्थों के रासायनिक ऑक्सीकरण के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा है। इसके अलावा टीएसएस (टीएसएस) भी पानी की गुणवत्ता जांचने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। टोटल सस्पेंडेड सॉलिड (टीएसएस) सूक्ष्म कणों का वह भाग है जो पानी में निलंबन में रहता है।

यमुना विहार में मौजूदा 45 एमजीडी क्षमता वाले एसटीपी में बीओडी/टीएसएस को 20/30 मिलीग्राम प्रति लीटर के हिसाब से सीवर के पानी को उपचारित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। जबकि, वर्तमान डीपीसीसी मानदंडों के अनुसार बायो न्यूट्रिएंट रिमूवल के साथ ट्रीटेड एफ्लुएंट के पैरामीटर बीओडी<10एमजी/आई और टीएसएस>10 मिलीग्राम प्रति लीटर होना चाहिए। इसलिए मौजूदा एसटीपी को अपग्रेड किया जाएगा, ताकि सीवेज का गंदा पानी बेहतर तरीके से ट्रीट हो सके।

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