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Delhi Election: दिल्ली में तीन दशक से ‘वनवास’ झेल रही बीजेपी, सत्ता तक नहीं पहुंचने दे रहीं ये अड़चनें

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रघुनाथ कसौधन

Delhi Election 2025: इस समय भले ही पूरे देश में पड़ रही कड़ाके की ठंड लोगों को ठिठुरन का अहसास करा रही है, लेकिन दिल्ली में सियासी गर्मी ने माहौल गर्म कर रखा है। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी से लेकर बीजेपी और कांग्रेस मतदाताओं को लुभाने के लिए हर हथकंडे अपनाने में जुटी हुई हैं। इन सबके बीच बीजेपी के लिए यह चुनाव करो या मरो वाला साबित होने वाला है क्योंकि तीन दशक से सत्ता का ‘वनवास’ झेल रही भाजपा के पास इस बार गोल्डेन चांस है, कारण कि इस बार अरविंद केजरीवाल भ्रष्टाचार सहित ‘खास आदमी’ की टैगलाइन लगने से चौतरफा घिरे हुए हैं। हालांकि, आप पर सवालों की बौछार करने वाली बीजेपी अभी तक अपनी अंदरूनी समस्याओं से पार नहीं पा सकी है, जिसने उसे अब तक दिल्ली की सत्ता से दूर कर रखा है।

साल 2014 से बीजेपी के लिए स्वर्णकाल चल रहा है। केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के साथ ही देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, गुजरात, उत्तराखण्ड, गोवा, बिहार, आंध्र प्रदेश, सिक्किम, अरूणांचल, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर व त्रिपुरा जैसे राज्यों में उसकी व उसके गठबंधन की सरकारें चल रही हैं लेकिन अभी भी कुछ राज्यों में बीजेपी के लिए जीत किसी सपने से कम नही है। दिल्ली इनमें से से एक ऐसा राज्य है, जहां पर बीजेपी पिछले तीन दशक से सत्ता का स्वाद नहीं चख सकी है। पहले कांग्रेस उसे लगातार शिकस्त देती रही, अब आम आदमी पार्टी के सामने वह बेबस नजर आती है।

सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह है कि लोकसभा चुनाव में लगातार बीजेपी दिल्ली में क्लीन स्वीप कर रही है, लेकिन विधानसभा चुनाव में वह बहुमत के आंकड़े के आस-पास भी नहीं पहुंच पा रही है। हर चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी अपने आक्रामक अंदाज में चुनाव प्रचार शुरू करते हैं, लेकिन नतीजा जस का तस ही रह जाता है। इस बार भी पीएम ने ‘आप-दा’ को नहीं सहेंगे, बदल कर रहेंगे के जरिए आक्रामक अभियान शुरू किया है लेकिन अभी भी बीजेपी आम आदमी पार्टी की चुनावी रणनीति से काफी पीछे नजर आ रही है।

Delhi Election 2025:  स्थानीय नेतृत्व की कमी से खा रहे मात

2014 के बाद से पूरे देश में होने वाले चुनावों में बीजेपी के लिए नरेंद्र मोदी सबसे प्रमुख चेहरा रहे हैं और बीजेपी उनके नाम पर ही वोट मांगती है। डबल इंजन सरकार के जरिए मतदाताओं को विकास की गंगा बहाने का वादा किया जाता है। यह वादा कई चुनावों में कारगर भी साबित हुआ है और वर्तमान में बीजेपी सबसे अधिक राज्यों में सत्ता पर काबिज भी है लेकिन कुछ राज्यों में स्थानीय नेतृत्व का अभाव उसकी लुटिया डुबो ही देता है। जब लोकसभा चुनाव की बात आती है तो मतदाताओं का वोटिंग पैटर्न अलग होता है और वह राष्ट्रीय मुद्दों को ज्यादा तरजीह देते हैं लेकिन विधानसभा चुनावों में उनका ध्यान स्थानीय समस्याओं पर ज्यादा होता है।

भले ही आज बीजेपी देश में सबसे मजबूत है लेकिन अभी भी कई राज्यों में स्थानीय नेतृत्व के अभाव में मात खा रही है। दिल्ली में भी तीस सालों से वनवास झेल रही बीजेपी के लिए सबसे बड़ा कारण नेतृत्व का अभाव ही है। अब उसके पास मदनलाल खुराना, केदारनाथ साहनी, साहिब सिंह वर्मा या सुषमा स्वराज जैसा कोई मजबूत चेहरा नही है, इसकी वजह से मतदात उस पर भरोसा नही जता रहे हैं।

लोकसभा चुनाव में दिल्ली के लोग पीएम मोदी के चेहरे पर भर-भरकर वोट देते हैं लेकिन विधानसभा चुनाव में वह बीजेपी से ज्यादा आप को तरजीह दे रहे हैं। वर्तमान में अरविंद केजरीवाल की तरह बीजेपी के पास ऐसा कोई मजबूत चेहरा नही है, जो दिल्ली के लोगों को बेहतर नेतृत्व प्रदान करने का भरोसा दे सके। बीजेपी ने भी अभी तक गंभीरता से किसी नेता को आगे बढ़ाने की कोशिश भी नहीं की, जिसकी वजह से उसे लगातार चुनावों में मुंह की खानी पड़ रही है।

Delhi Election 2025:  वोटों के बंटवारे पर ही ‘आप’ को मिल सकती है मात

जिस दिल्ली में कभी कांग्रेस की तूती बोलती थी और लगातार वह जीतती आ रही थी, उसी दिल्ली में उसकी जगह अब ‘आप’ ने ले ली है। कभी कांग्रेस का जिन वोटों पर एकाधिकार होता था, उन पर अब आम आदमी पार्टी का कब्जा है। राजधानी के मुस्लिम वोटर अब पूरी तरह आप के पक्ष में पड़ते हैं और पूर्वाचली वोटों पर भी उसने मजबूत पकड़ बना रखी है।

इसके अलावा उसकी फ्रीबिज योजनाओं को एक बड़े तबके को अपने साथ मजबूती से जोड़ रखा है, इसलिए बीजेपी की भी दाल उसके सामने नहीं गल रही है। अतीत पर नजर डालें तो आखिरी बार 1993 में दिल्ली में बीजेपी ने जीत हासिल कर सरकार बनाई थी और मदनलाल खुराना सीएम कुर्सी पर काबिज हुए थे। बीजेपी की इस जीत में वोटों के बंटवारे ने अहम भूमिका निभाई थी।

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दरअसल, उस समय केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी और दिल्ली चुनाव में मंडल की राजनीति का गहरा असर दिखा था। जिसका नतीजा रहा कि जनता दल ने 12 प्रतिशत से अधिक वोटों पर कब्जा जमाया था। इसी चुनाव में कांग्रेस ने 35 प्रतिशत और बीजेपी ने करीब 43 प्रतिशत मत हासिल किए थे। इस चुनाव में बीजेपी ने कुल 49 सीटों पर कमल खिलाने में सफलता हासिल की थी और इसमें सबसे बड़ी भूमिका वोटों के बंटवारे की थी। जनता दल ने भाजपा से अधिक कांग्रेस के वोट बैंक को नुकसान पहुंचाया था। वर्तमान में कुछ हालत ऐसी ही है, बीजेपी की लगातार हार के पीछे वोटों का बंटवारा न होना ही है।

शीला दीक्षित के बाद अब कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है और वह पहले जितना सक्रिय भी नहीं रहती है। जिसकी वजह से केजरीवाल ने कांग्रेस के वोट बैंक के साथ ही अपनी योजनाओं से एक बड़े वर्ग को अपने साथ जोड़ रखा है, जिससे बीजेपी लाख जतन करने के बाद भी सफलता हासिल नहीं कर पाती है। ऐसे में बीजेपी को अब कांग्रेस से ही उम्मीद है क्योंकि अगर कांग्रेस पूरे दमखम से दिल्ली का चुनाव लड़े तो वोटों का बंटवारा हो सकता है और इसमें बीजेपी चुनाव में फतह हासिल कर सकती है।

Delhi Election 2025:  दिल्ली में 5 को चुनाव, 8 को आएंगे नतीजे

बहुप्रतीक्षित दिल्ली चुनाव का मंगलवार को ऐलान हो गया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने प्रेस कान्फ्रेंस कर चुनाव की तारीखों का ऐलान किया। 05 फरवरी को दिल्ली में एक ही चरण में सभी 70 सीटों पर मतदान होगा, जबकि तीन दिन बाद ही 08 फरवरी को नतीजे भी घोषित किए जाएंगे। राजधानी दिल्ली में इस बार कुल 01 करोड़ 55 लाख 24 हजार 858 वोटर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 83 लाख 49 हजार 645 जबकि महिला वोटर्स की संख्या 71 लाख 73 हजार 952 है। इसके अलावा 1,261 थर्ड जेंडर भी अपने वोट की ताक दिखाएंगे।

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