नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में दायर मानहानि मामले में शुक्रवार को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को करने का आदेश दिया। आज सुनवाई के दौरान अशोक गहलोत के अलावा इस मामले में शिकायतकर्ता गजेंद्र सिंह शेखावत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मौजूद थे।
6 जुलाई को जारी हुआ था CM गलहोत को समन
वही आज अशोक गहलोत की ओर से पेश हुए वकील रमेश गुप्ता ने हाईकोर्ट में लंबित मामले से जुड़े दस्तावेजों को रिकॉर्ड पर लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि जो दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, वे याचिकाकर्ता की शिकायत का हिस्सा हैं। शिकायतकर्ता ने सभी दस्तावेज कोर्ट में रिकॉर्ड पर नहीं रखे हैं। 26 सितंबर को रमेश गुप्ता ने कहा था कि उनका इस मामले को लटकाने का कोई इरादा नहीं है। वे दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 251 के तहत सुनवाई चाहते हैं। 19 सितंबर को कोर्ट ने अशोक गहलोत को बरी करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। 6 जुलाई को कोर्ट ने आरोपी अशोक गहलोत को समन जारी किया था। दिल्ली पुलिस ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की थी। इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में अपने बयान में कहा था कि उनका संजीवनी घोटाले से कोई संबंध नहीं है।
क्या लगाए थे आरोप?
मामले में शेखावत ने कहा था कि जांच एजेंसियों ने उन्हें आरोपी नहीं माना है। गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उन पर झूठे आरोप लगाए। याचिका में कहा गया कि गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी सहकारी सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ आरोप स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में साबित हो गये हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट किया कि संजीवनी सहकारी समिति ने करीब एक लाख लोगों की मेहनत की कमाई लूट ली। इस घोटाले में करीब 900 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया गया है। याचिका में कहा गया कि मुख्यमंत्री गहलोत ने शेखावत का नाम एक सहकारी समिति के साथ जोड़कर उनके चरित्र पर हमला करने की कोशिश की, जिसमें न तो वह और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य उस समिति में जमाकर्ता है।