Saturday, November 16, 2024
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2022 में 165 को मौत की सजा, 2 दशक में सबसे ज्यादा

लखनऊ: देश में ट्रायल कोर्ट ने 2022 में 165 लोगों को मौत की सजा सुनाई, जो पिछले दो दशकों में एक साल में सबसे ज्यादा है। 2021 में कुल 146 कैदियों को मौत की सजा सुनाई गई थी। समाज में गिरते नैतिक मूल्यों का दर्शाता है कि मृत्युदंड के लगभग एक तिहाई मामलों में, अपराधी ने यौन अपराध किया था।

अहमदाबाद कोर्ट ने 38 आतंकियों को सुनाई मौत की सजा

2022 के अंत में, 539 मृत्युदंड के मामले दर्ज किए गए, जो 2016 के बाद से सबसे अधिक है। मृत्युदण्ड पाए लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है – 2015 से 2022 में 40 फीसदी की वृद्धि हुई है। इसका श्रेय बड़ी संख्या में ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा को दिया जाता है और अपीलीय अदालतों द्वारा ऐसे मामलों के निपटान की कम दर भी इसका मुख्य कारण है।

ये निष्कर्ष एनएलयू, दिल्ली में प्रोजेक्ट 39ए द्वारा प्रकाशित “भारत में मौत की सजाः वार्षिक सांख्यिकी 2022” निकल हैं। 2008 के सीरियल ब्लास्ट मामले में अहमदाबाद की एक अदालत द्वारा फरवरी 2022 में 38 लोगों को दी गई मौत की सजा ने 2022 में संख्या में वृद्धि की।

मृत्युदण्ड पाने वालों में यौन अपराध मुख्य कारण

यौन अपराध में लिप्त रहने के कारण वर्ष 2016 में 27 लोगों को सजा ए मौत दी गई जो मृत्युदण्ड के कुल 153 मामलों का 17.6 फीसदी था। यह नम्बर वर्ष 2022 आते-आते लगभग दो गुना हो गया। यौन अपराध के कारण मृत्युदण्ड पाने वालों लोगों की संख्या 52 हो गई जो कुल 165 का 31.5 फीसदी है।

कानून के जानकारों का कहना है कि बढ़ी हुई संख्या निचली अदालतों में बढ़ते चलन को भी दर्शाती है। महामारी के कारण 2020 में गिरावट के बाद से ट्रायल कोर्ट ने बड़ी संख्या में मौत की सजा फिर से शुरू कर दी है। (महामारी में 77  मृत्युदण्ड जो सबसे कम थी)।

नेषलन लाॅ यूनिवर्सिटी का मानना है कि यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मृत्युदंड की सजा दिए जाने के तरीके की गंभीर समस्याओं को उजागर करने के प्रयासों के बिल्कुल विपरीत है। पिछले साल मई में, सुप्रीम कोर्ट ने माना कि मौत की सजा के मामलों में सजा सुनाते समय गंभीरता कम करने वाली परिस्थितियों को कम करने के लिए सामग्री जुटाना ट्रायल कोर्ट का कर्तव्य है।

बढ़ती मौत की सजा चिंता का कारण

चिंता का एक और मुद्दा मौत की सजा पाए कैदियों की बढ़ती संख्या है। दिसंबर 2016 में यह संख्या 400 से बढ़कर दिसंबर 2022 तक 539 हो गई है। मौत की सजा पाने वाले कैदियों की संख्या सबसे ज्यादा यूपी (100) में है, इसके बाद गुजरात (61) और झारखंड (46) हैं।

अपीलीय अदालतें उनके द्वारा विचार किए गए मृत्युदंड के अधिकांश मामलों को कम्यूट या बरी करना जारी रखती हैं। लेकिन ट्रायल कोर्ट से आने वाली मौत की सजा की मात्रा के बराबर होने के लिए उन्हें बहुत धीरे-धीरे निपटाया जाता है। इसके परिणामस्वरूप प्रत्येक वर्ष मृत्युदण्ड पाने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। यह सब भारत की मृत्युदंड व्यवस्था में संकट को उजागर करता है।

2022 में मृत्युदण्ड का मुख्य कारण यौन अपराध

2022 में दिए गए 165 मौत की सजाओं में से 51.28 फीसदी मामलों में यौन हिंसा से संबंधित अपराध शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाए गए 98.3 फीसदी मौत की सजा में, अभियुक्तों की परिस्थितियों को कम करने पर कोई सामग्री नहीं थी और सुधार के सवाल पर राज्य के नेतृत्व में कोई सबूत नहीं था। रिपोर्ट के अनुसार 2022 के अंत में, 539 कैदी मृत्युदंड पर थे। 2016 में प्रकाशित पहली वार्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट के बाद से मृत्यु पंक्ति पर कैदियों की यह सबसे अधिक संख्या है। मृत्यु पंक्ति पर जनसंख्या लगातार वर्षों में बढ़ी है।

मौत की सजा का निपटान धीमी गति से

वृद्धि न केवल ट्रायल कोर्ट द्वारा बड़ी संख्या में मौत की सजा देने के कारण है, बल्कि अपीलीय अदालतों द्वारा मौत की सजा के मामलों के निपटान की कम दर के कारण भी है। 2022 में, भारत भर के उच्च न्यायालयों ने 68 मामलों का फैसला किया, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने 11 मामलों का फैसला किया। इस तरह कुल 79 मृत्युदण्ड के मामलों में ही निपटान हो पाया। प्रोजेक्ट 39 की रिपोर्ट के अनुसार, शीर्ष अदालत द्वारा तय किए गए मामलों में, इसने 3 मामलों में 5 कैदियों को बरी कर दिया, 6 मामलों में 8 कैदियों की मौत की सजा को कम कर दिया और 2 मामलों में 2 कैदियों की मौत की सजा की पुष्टि की।

मृत्युदण्ड की कतार में खड़े लोगों की संख्या
2016        2017        2018            2019         2020             2021            2022
400          366           426             378          404              490                 539

 

सेशन कोर्ट ने दी मौत की सजा
2016       2017          2018          2019         2020           2021                 2022
153         110             163             104           78            146                   165

 

उत्तर प्रदेश में सत्र न्यायालय द्वारा दी गईं मृत्युदण्ड
2016      2017          2018             2019            2020          2021        2022
33         20                15                 12                13             34            32

 

022 में मृत्युदण्ड पाने वालों के अपराध की प्रकृति
यौन अपराध और हत्या          47
सामान्य हत्या                    57
आतंकी अपराध                 39
किडनैपिंग व मर्डर              08
चाइल्ड रेप                      05

 

रिपोर्ट-पवन सिंह चौहान

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