Dattatreya Hosabale: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नागपुर में चल रही अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में दत्तात्रेय होसबाले को दोबारा सरकार्यवाह चुना गया है। सरकार्यवाह का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है। इस लिहाज से होसबाले 2027 तक इस पद पर बने रहेंगे।
नागपुर में 15 मार्च से चल रही प्रतिनिधि सभा की बैठक रविवार को खत्म हो रही है। इस प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से अगले 3 वर्षों के लिए एक बार फिर दत्तात्रेय को सरकार्यवाह चुना है। होसबाल साल 2021 से सरकार्यवाह की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इससे पहले भैयाजी जोशी सरकार्यवाह की जिम्मेदारी निभा रहे थे।
कर्नाटक के शिमोगा से हैं दत्तात्रेय होसबाले
दत्तात्रेय होसबाले कर्नाटक के शिमोगा के रहने वाले हैं। 1 दिसंबर 1955 को जन्मे होसबोले 1968 में महज 13 साल की उम्र में संघ से जुड़े। साल 1972 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े। होसबाले ने बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी भाषा में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। दत्तात्रेय होसबाले एबीवीपी कर्नाटक के प्रदेश संगठन मंत्री थे। इसके बाद वह एबीवीपी के राष्ट्रीय मंत्री और सह संगठन मंत्री रहे। लगभग 20 वर्षों तक एबीवीपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रहे। इसके बाद 2002-03 के आसपास उन्हें संघ का अखिल भारतीय सह-बौद्धिक प्रमुख बनाया गया। वह 2009 से सह-अध्यक्ष थे।
अपनी मातृभाषा कन्नड़ के अलावा, दत्तात्रेय होसबाले को अंग्रेजी, तमिल, मराठी, हिंदी और संस्कृत सहित कई भाषाओं का ज्ञान है। होसबाले 1975-77 के जेपी आन्दोलन में भी सक्रिय रहे और लगभग ढाई वर्ष तक ‘मीसा’ के तहत जेल में रहे। होसबाल ने जेल में दो हस्तलिखित पत्रिकाओं का संपादन भी किया।
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कैसे होता है सरकार्यवाह का चयन?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में जिला संघचालक, विभाग संघचालक, प्रांत संघचालक, क्षेत्र संघचालक के साथ-साथ सरकार्यवाह चुनने के लिए हर 3 साल में चुनाव प्रक्रिया आयोजित की जाती है। कार्यकारिणी की घोषणा होती हैं, जो अगले 3 साल तक काम करती है। आवश्यकतानुसार बीच-बीच में कुछ पदों में बदलाव भी होते रहते हैं। प्रतिनिधि सभा की बैठक में क्षेत्र प्रचारकों और प्रांत प्रचारकों की जिम्मेदारियों में बदलाव भी होता है।
दुनिया के सबसे बड़े संगठन में सरकार्यवाह पद का चुनाव बहुत ही सरल विधि से होता है। इस चुनाव प्रक्रिया में पूरी केंद्रीय कार्यकारिणी, क्षेत्र और प्रांत के संघ नेता, कार्यवाह और प्रचारक और संघ के सक्रिय स्वयंसेवकों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि शामिल होते हैं। वही सरकार्यवाह का चयन करते हैं।
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