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रोगमुक्त होंगे बच्चे, खिलखिलाएगा बचपन, बाल रोगों की पहचान करने को आज से ‘घर-घर दस्तक’ देगी स्वास्थ्य टीम

भोपाल : मध्य प्रदेश में बच्चों में होने वाली विभिन्न बीमारियों का पता लगाकर उनके समुचित उपचार के उद्देश्य से आज (सोमवार) से दस्तक अभियान (dastak campaign) की शुरुआत होने जा रही है। यह अभियान 17 अगस्त तक चलेगा। इस अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग के संयुक्त दल द्वारा घर-घर जाकर बच्चों में पाई जाने वाली बीमारियों की सक्रिय पहचान और उचित प्रबंधन सुनिश्चित किया जाएगा।

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दस्तक अभियान (dastak campaign) का उद्देश्य 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में प्रमुख बाल्यकालीन बीमारियों की सामुदायिक स्तर पर सक्रिय पहचान और त्वरित प्रबंधन करना है, जिससे बाल मृत्यु दर में वांछित कमी लाई जा सके। इस अभियान के तहत 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान की जाएगी, साथ ही गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान भी की जाएगी। इसके अलावा 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन भी किया जाएगा।

एनएचएम एमडी प्रियंका दास ने बताया कि इस वर्ष दस्तक अभियान (dastak campaign) पूरी तैयारी के साथ संचालित किया जाएगा। अभियान में 5 वर्ष तक के बच्चों में प्रमुख बाल्यकालीन बीमारियों की सक्रिय पहचान और प्रबंधन किया जाना है, जिससे बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सके। अभियान में एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का संयुक्त दल 5 वर्ष उम्र तक के बच्चों वाले परिवारों के घर जाकर बच्चों की स्वास्थ्य जांच कर बीमारियों की पहचान, उचित उपचार तथा प्रबंधन सुनिश्चित करेगा। मुख्य रूप से शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की पहचान, प्रबंधन और रेफरल, गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान, रेफरल और प्रबंधन, 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग और प्रबंधन, बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों की पहचान आदि गतिविधियां दस्तक दल द्वारा की जाएंगी। दस्तक दल गृह भेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत और छूटे हुए बच्चों के टीकाकरण की स्थिति की जानकारी लेगा। दस्तक दल दस्त रोग की रोकथाम के संबंध में जागरूकता बढ़ायेगा।

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