शिमलाः हिमाचल की राजधानी शिमला में वर्ष 2022 के आरंभ में साइबर अपराध के मामलों में भारी उछाल आया है। साइबर सेल शिमला से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष के शुरुआती तीन महीनों में धोखाधड़ी की 92 मामले दर्ज किए गए। हैरानी की बात ये है कि हर रोज एक व्यक्ति साइबर अपराध का शिकार हो रहा है। जनवरी से मार्च तक की अवधि साइबर ठगों के लिए काफी लाभकारी रहा, इस दौरान जहां लोगों के बीच ऑनलाइन खरीदारी व लेने देन बढ़ा, तो वहीं साइबर ठगों का नेटवर्क भी बढ़ा।
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चौंकाने वाली बात ये है कि साइबर सेल शिमला को तीन महीनों में प्राप्त 80 प्रतिशत शिकायतें झारखंड के जामताड़ा, राजस्थान के भरतपुर और हरियाणा के मेवात से जुड़ी हुई हैं। साइबर सैल के अधिकारियों की मानें तो झारखंड के जामताड़ा के साईबर गिरोह ज्यादातर बैंक प्रतिनिधि होने का झांसा देकर केवाईसी अपडेट मांगते हैं और पीड़ित को यह विश्वास दिलाकर विवरण और ओटीपी मांगते हैं कि उनका एटीएम कार्ड ब्लॉक हो गया है।
साइबर सेल के अधिकारी कहते हैं कि मामलों की जांच से पता चला है कि जामताड़ा में संगठित नेटवर्क काम कर रहा है और साइबर धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए बाकायदा कोचिंग दी जाती है। उनका कहना है कि साइबर अपराधियों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है। कॉल करने वाले फर्जी कॉल करते हैं और निर्दोष ग्राहकों को ठगते हैं। बैंकर लेन-देन के लिए बैंक खाते खोलने के लिए गरीब लोगों के आधार कार्ड का उपयोग करते हैं और संपत्ति के डीलर चोरी के पैसे को संपत्ति में निवेश करते हैं।
साइबर सेल के एक अधिकारी ने बताया कि अधिकांश साइबर शिकायतों में साइबर अपराधी किसी एप्प को अपडट करने के लिए मैसेज द्वारा एक लिंक भेज रहे हैं। शिकायतकर्ता जब उस लिंक पर क्लिक करते हैं, तो एक फॉर्म खुलता है और जैसे ही शिकायतकर्ता उस फॉर्म को भरते हैं, तो उसके खाते से भारी राशि कट जाती है। साइबर पुलिस ने आम जनमानस से आग्रह किया है कि इस तरह का कोई भी लिंक आपको प्राप्त होता है तो उस पर क्लिक न करे तथा न ही अपनी निजी जानकारी किसी से सांझा करें तथा इस प्रकार की ऑनलाइन धोखाधड़ी होने पर इसकी सूचना तुरंत नजदीकी पुलिस थाना या पुलिस कंट्रोल रूम नंबर 112 पर दर्ज करवाये।
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