लखनऊः यदि आप बिजनेस करने की सोच रहे हैं और खेती को इसका जरिया बना रहे हैं, तो यह निर्णय आपका बेहतर साबित हो सकता है। हालांकि, इसमें समझदारी की जरूरत है कि आप पारंपरिक खेती से दूर रहंे और जोखिम उठाने की क्षमता लेकर चलें। अच्छा होगा कि आप फूलों की खेती करें और अच्छी आमदनी के साथ सुगंधित हवाओं का आनंद भी उठाते रहें।
किसानों को इन दिनों बहुत अधिक तकनीकी और ज्ञान की आवश्यकता है। पारंपरिक खेती से उनका मोहभंग हो रहा है, इसलिए विकल्प के रूप में फूलों की खेती करने का सुझाव दिया जा रहा है। किसान खुद मानते हैं कि यह एकदम सही साबित हो सकता है, लेकिन इसका बुनियादी ज्ञान भी चाहिए। इसके अलावा उन क्षेत्रों की तलाश और संभावनाएं भी बताई जानी चाहिए कि किसान अपनी मेहनत का फल लेकर उसे बेचने कहां जाएं? कारण है कि लखनऊ में फूलों की दुकान तो हैं, लेकिन मंडी नहीं है। राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिक शरद श्रीवास्तव कहते हैं कि किसान यदि अपना क्षेत्र तलाश लेंगे, तो उनकी सारी दिक्कतें दूर हो जाएंगी।
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शरद कहते हैं कि बीते दो सालों तक फूलों के कारोबार पर काफी नकारात्मक प्रभाव रहा है। अभी तक फूलों की डिमांड पहले जैसे ही है। इसका इस्तेमाल करने वाले भी अभी तक विशेष रुझान नहीं दे रहे हैं। इससे बाजार के टूटे पंख अभी टूटे ही हुए हैं। ऐसे हालात में लखनऊ, उन्नाव और आस-पास के लोग गेंदा की खेती से भी दूर हो रहे हैं। यह ऐसी खेती थी, जिसमें काफी लोग अपना जीवन-यापन करते रहे हैं। यद्यपि गेंदा की खेती में कोई तकनीकी और ज्ञान का इस्तेमाल नहीं किया जाता रहा है, बावजूद इसके किसान बड़ी संख्या में गेस्ट हाउस, मंदिरों और समारोहों के लिए फूलों की खेती करते रहे हैं। बाजार न होने के बाद भी सीमित संख्या में औसत फूलों की खेती की जाती रही है। शहर से सटे पिपरसंड, बंथरा, उन्नाव और अजीटनखेड़ा के लोग इत्र, अगरबत्ती और दवाओं के लिए भी फूलों की खेती करते रहे हैं।
पॉलीहाउस में भी कर सकते हैं खेती –
फूलों की खेती के लिए फूलों की प्रजाति और जलवायु का चयन करना चाहिए। यदि कृषि वैज्ञानिक से राय लेकर यह काम किया जाए तो ज्यादा सफल होने के अवसर होंगे। फूलों को पानी की आवश्यकता होती है और यह साल भर चाहिए, इसलिए अगर किसान चाहें तो वे पॉलीहाउस में भी इसकी खेती कर सकते हैं।
अभी मिल रहे हैं पसंदीदा पौधे –
लखनऊ में फूलों की कई प्रजातियां हैं। कुछ फूल ऐेसे हैं, जिनकी मांग बहुत अधिक रहती है। इसमें गुलाब, गेंदा, जरबेरा, रजनीगंधा, चमेली, ग्लेडियोलस, गुलदाउदी व एस्टर बेली आदि हैं।
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