Sunday, March 30, 2025
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CSIR-NBRI ने हासिल की एक और उपलब्धि, किसानों को होगा लाभ

लखनऊ: कृषि क्षेत्र के लिए एक अभूतपूर्व विकास की दिशा में लखनऊ स्थित , CSIR-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (NBRI ) के वैज्ञानिकों ने विश्व के पहले आनुवांशिक रूप से संशोधित (जीएम) कपास पौधे को बनाने में सफलता हासिल की है जो पिंक बॉलवर्म (पीबीडब्ल्यू) के लिए पूरी तरह से प्रतिरोधी है। पिंक बॉलवर्म एक कीट हैं जिसने भारत, अफ्रीका और एशिया में कपास की खेती करने वाले किसानों को लंबे समय से परेशान करता रहा है।

कपास की पैदावार बढ़ाएगा किसान

भारत में वर्ष 2002 में जीएम कपास के आने के बाद, सेंट लुइस, यूएसए की कंपनी मोनसेंटो के साथ संयुक्त रूप से विकसित बोलगार्ड® 1 और बोलगार्ड® 2 जैसी किस्मों ने कुछ बोलवर्म प्रजातियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता लाने में काफी प्रयास किया है। हालांकि, समय के साथ इन किस्मों ने पिंक बोलवर्म (पीबीडब्लू) के खिलाफ पूर्ण प्रतिरोधकता हासिल करने में असमर्थ रही हैं।

पिंक बोलवर्म को भारत में स्थानीय रूप से गुलाबी सुंडी के रूप में जाना जाता है। समय के साथ पिंक बोलवर्म ने इन किस्मो में उपयोग किए जाने वाले क्राई1एसी और क्राई2एबी प्रोटीन के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को भी विकसित कर लिया है, जिससे भारत में कपास की पैदावार में काफी गिरावट दर्ज की गयी है। वैज्ञानिक जैसे ही काटन को प्रोत्साहित करेंगे, वैसे ही किसान भी कपास की खेती पर ज्यादा जोर देंगे।

इस महत्वपूर्ण कमी को दूर करते हुए CSIR-NBRI के मुख्य वैज्ञानिक डॉपीके सिंह एवं उनकी टीम द्वारा एक नए कीटनाशक जीन विकसित किया गया है। यह स्वजनित जीन, पिंक बोलवर्म के विरुद्ध अधिक रूप से प्रभावी है एवं इसका पिंक बोलवर्म प्रतिरोधक क्षमता के लिए पूर्व विकसित बोलगार्ड® 2 कपास की तुलना में सफलतापूर्वक परीक्षण भी किया गया है। संस्थान में हुए विभिन्न प्रयोगशाला परीक्षणों से हमे यह भी पता चला कि नया जी एम् कपास पिंक बोलवर्म के प्रति अत्यधिक प्रतिरोधी है, साथ ही अन्य कीड़ों जैसे कपास के पत्ते के कीड़े और फॉल आर्मीवर्म से भी सुरक्षा प्रदान करता है।

तकनीकी को किया हस्तांतरण

इस अग्रणी तकनीक की क्षमता को पहचानते हुए, नागपुर स्थित कृषि-जैव प्रौद्योगिकी कंपनी मेसर्स अंकुर सीड्स प्राइवेट लिमिटेड को CSIR-NBRI की इस तकनीकी का हस्तांतरण किया गया है। अंकुर सीड्स विनियामक दिशा-निर्देशों के अनुसार सुरक्षा अध्ययनों पर सहयोग करेगा और अपने स्वामित्व वाली संकर कपास किस्मों में NBRI तकनीक के साथ क्षेत्र परीक्षणों से व्यापक बहु स्थान डेटा उत्पन्न करेगा। एक बार जब ये अध्ययन तकनीक की सुरक्षा की पुष्टि करेंगे, तो बीजों को आगे की विविधता और संकर विकास के लिए कई बीज कंपनियों को लाइसेंस दिया जाएगा, जिससे व्यापक व्यावसायीकरण हो सकेगा।

किसानों को मिलेगा ज्यादा लाभ

इस अभिनव तकनीक की शुरूआत से निम्नलिखित महत्वपूर्ण लाभ मिलने की उम्मीद है। फसल सुरक्षा से अधिक पैदावार बीज कंपनियों द्वारा संकर कपास किस्मों को पेश किए जाने के बाद, कपास की उत्पादकता में लगभग 20 फीसदी की वृद्धि हो सकती है, जबकि वर्तमान उपज लगभग 420 से 450 किलोग्राम है और इसमें गिरावट का रुझान है। किसानों की आय में वृद्धि होगी। अधिक लिंट की पैदावार से किसानों की आय में लगभग ₹10,000 प्रति हेक्टेयर की वृद्धि हो सकती है। कीटनाशकों के उपयोग में कमी होगी।

बार-बार कीटनाशकों के छिड़काव की आवश्यकता को कम करके, किसानों को प्रति हेक्टेयर लगभग ₹2,000 की बचत होगी। इस प्रकार, नई तकनीक लागत में कमी और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों का समर्थन करती है। कपास, एक उच्च मूल्य वाली नकदी फसल है जो भारत की निर्यात आय में महत्वपूर्ण योगदान देती है और राजस्व पैदा करने वाली शीर्ष तीन फसलों में से एक है। NBRI द्वारा की गई इस सफलता के माध्यम से यह अपनी आर्थिक शक्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए तैयार है।

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कपास उत्पादन के लिए एक नया युग

जैसा कि भारत राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाता है, इस स्वदेशी, विश्व स्तर पर अद्वितीय जीएम तकनीक की रिहाई टिकाऊ कृषि में एक महत्वपूर्ण छलांग है। गुलाबी बॉलवर्म के लगातार खतरे से कपास की रक्षा करके, CSIR-NBRI का नवाचार न केवल लाखों किसानों की आजीविका की रक्षा करता है, बल्कि दुनिया भर में कीट प्रतिरोध के लिए एक नया मानदंड भी स्थापित करता है। यह सफलता आत्मनिर्भर भारत के बैनर तले भारतीय नवाचार का एक शानदार उदाहरण है, जो उच्च पैदावार, बेहतर किसान आय और स्वच्छ पर्यावरण का भविष्य का वादा करता है।

रिपोर्टः- शरद त्रिपाठी, लखनऊ

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