West Bengal: काली पूजा के अवसर पर गुरुवार सुबह से ही मां काली की पूजा करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। कोलकाता के कालीघाट और दक्षिणेश्वर मंदिर में सुबह से ही हजारों लोग मां काली के दर्शन के लिए उमड़ पड़े। सुरक्षा कारणों से इन दोनों मंदिरों के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। पुलिस ने मंदिरों को बांस से घेरकर श्रद्धालुओं को योजनाबद्ध तरीके से पूजा करने की व्यवस्था की है।
मां काली की लक्ष्मी रूप में होती है पूजा
गुरुवार दोपहर तक इन दोनों मंदिरों में हजारों लोग पूजा कर चुके हैं। कालीघाट मंदिर देश भर के 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां सती के दाहिने पैर की चार अंगुलियां गिरी थीं। हर साल अमावस्या की रात को मां काली की लक्ष्मी के रूप में पूजा की जाती है, जिसमें मां को लक्ष्मी पूजा जैसा ही प्रसाद चढ़ाया जाता है। मंदिर के एक पुजारी ने बताया कि गुरुवार सुबह से ही मां काली को विशेष प्रसाद चढ़ाया जा रहा है, जिसमें चावल, पांच तरह की भुनी हुई सब्जियां, पांच तरह की सूखी मछली का भाजा, घी, मिठाई और बकरे का मांस शामिल है।
भक्तों की उमड़ी भीड़
इस प्रसाद को प्रसाद के रूप में भी बांटा जा रहा है। दक्षिणेश्वर काली मंदिर में भी दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। दो साल पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दक्षिणेश्वर स्टेशन से मंदिर तक साढ़े 300 मीटर लंबे स्काईवॉक का उद्घाटन किया था। गुरुवार सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की लंबी कतारें देखी गईं। सुबह सात बजे मंदिर के पट खुले, जिसके बाद काली पूजा शुरू हुई। वहीं, बीरभूम जिले के प्रसिद्ध तारापीठ में भी मां काली के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है।
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तारापीठ भी 51 शक्तिपीठों में से एक है और यहां मां काली को मां तारा के रूप में पूजा जाता है। यहां सती का नेत्र गिरा था। काली पूजा के अवसर पर गुरुवार सुबह से ही यहां भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। तारापीठ में तांत्रिकों और अघोरियों का भी जमावड़ा रहता है, जो पूजा के दौरान हवन, यज्ञ और तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं। यहां मां काली को भोग के रूप में देशी शराब भी चढ़ाई जाती है। पुलिस ने भी तारापीठ में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं ताकि पूजा के दौरान कोई अराजकता न हो।
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