श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह में फूलों से महमह होगा दरबार

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वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह को भव्य और ऐतिहासिक बनाने के लिए प्रदेश शासन और जिला प्रशासन ने पूरी ताकत लगा दी है। 13 दिसम्बर को जिस समय प्रधानमंत्री धाम को लोकार्पित करेंगे। पूरे धाम परिसर में आध्यात्मिक माहौल के साथ विविध फूलों की सुगंध भी फिजाओं में बिखरी रहेगी। पूरा दरबार फूलों और इससे बने वंदनवार से मह-मह होगा। इसके लिए 70 टन विविध फूलों को मंगाया जा रहा है। फूल मिर्जापुर, चंदौली और बनारस के किसान के साथ, कोलकाता (पश्चिम बंगाल) और बिहार से भी मंगाये जा रहे हैं। सुंगधित फूलों में कुंद, रजनीगंधा, ऑरेंज ग्लेडी, बनारसी गेंदा और गुलाब भी शामिल है। धाम परिसर के अलावा चौराहों को भी सजाने की तैयारी चल रही है।

श्री काशी विश्वनाथ विशिष्ठ क्षेत्र विकास परिषद के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा के अनुसार बाबा विश्वनाथ धाम को सजाने के लिए अन्य तैयारियों के साथ फूलों को एकत्र करने का काम किया जा रहा है। उधर, गंगा घाटों पर देव दीपावली सा नजारा और भव्यतम गंगा आरती कराने की तैयारी भी चल रही है। प्रधानमंत्री दशाश्वमेध घाट पर आयोजित होने वाली गंगा सेवा निधि की भव्य गंगा आरती भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के साथ कूज पर सवार होकर देंखेंगे। इसके लिए लिए गंगा सेवा निधि के पदाधिकारियों के साथ नगर निगम के उप सभापति नरसिंह दास भी बैठक कर तैयारियों में लगे हुए है। गंगा के दोनों छोर पर 11 लाख दीये जलाने के लिए भी जिला प्रशासन के साथ सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि लगे हुए है।

इसके अलावा नगर की मुख्य सड़कें, गलियां भी झालरों से सज रही है। गंगा किनारे और शहर में ऐतिहासिक धरोहरें, बड़ी-बड़ी इमारतें, सरकारी भवन, पानी की टंकियां, पटरियों पर लगे पेड़-पौधे, गंगा के साथ वरुणा व असि पर बने पुल, फ्लाइओवर, आरओबी, रेलवे व रोडवेज स्टेशन को रौशनी से जगमग करने की तैयारी है। 13 दिसंबर को देव दीपावली जैसे दृश्य के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं होंगी। इसमें भवनों की आकर्षक सज्जा के लिए भी प्रतियोगिता कराई जाएगी। इसमें सरकारी भवन, व्यवसायिक भवन, निजी भवन सभी को शामिल किया गया है। बेहतरीन सजावट के लिए शीर्ष तीन भवनों का चयन किया जाएगा।

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ज्ञानवापी कूप भी परिक्रमा पथ के अंदर शामिल किया गया

विश्वनाथ धाम निर्माण योजना में मुख्य परिसर का विस्तारीकरण पूरा होने के साथ ज्ञानवापी कूप अब गर्भगृह के चारों ओर बनाए गए परिक्रमा पथ के अंदर शामिल कर लिया गया है। 80 फीट लंबे और 40 फीट चौड़े परिक्रमा पथ की डिजाइन में थोड़ा बदलाव कर गर्भगृह के उत्तर स्थित ज्ञानवापी मंडप के पास परिक्रमा पथ की गैलरी में लगे नक्काशीदार खंभों को उत्तर दिशा की ओर बढ़ाया गया है। ज्ञानवापी कूप के जगत और कूप के चारों ओर बने पत्थर को भी लोकार्पण के पहले साफ किया गया है। 352 वर्षों के कालखंड के बाद कूप बाबा के मंदिर का हिस्सा बन गया है। इतिहासविदों के अनुसार स्कंद पुराण और काशीखंड में इसका उल्लेख है। मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में आदिविश्वेश्वर मंदिर ध्वस्त कर दिया गया था।

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