कांग्रेस के चार साल के कार्यकाल में धर्मांतरण बढ़ा, रोकने के लिए नहीं उठाया कोई कदम : भाजपा

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जगदलपुरः भाजपा के प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप ने गुरुवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि वे नारायणपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं, उस दौरान धर्मांतरण का एक भी मामले सामने नहीं आया था। लेकिन कांग्रेस के चार वर्ष के कार्यकाल में बस्तर संभाग में तेजी से धर्मांतरण के मामले बढ़े हैं। हजारों की संख्या में मूल धर्म के आदिवासी मिशनरी लोगों के बहकावे में आकर अपना धर्म छोड़ विशेष समुदाय में शामिल हो गए हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए सबसे बड़ी चूक प्रशासन की तरफ से हुई है। प्रशासन ने धर्मांतरण रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिसके चलते नारायणपुर में आज इस तरह के हालात देखने को मिल रहे हैं।

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कश्यप ने कहा कि अभी भी जिस तरह की हिंसा नारायणपुर में देखने को मिली है वह सिर्फ मिशनरी लोगों की वजह से ही हुई है, लेकिन प्रशासन ने उन लोगों पर कार्रवाई करना छोड़ भाजपा और सर्व आदिवासी समाज के लोगों पर कार्रवाई कर उन्हें जेल में ठूस रही है। सुकमा के एसपी ने भी पत्र लिखकर पहले इस बात का जिक्र किया था कि सुकमा में धर्मांतरण को लेकर हालात बिगड़ रहे हैं, बावजूद इसके राज्य सरकार की ओर से धर्मांतरण को रोकने के लिए कोई कदम समय पर नहीं उठाया गया।

धर्मांतरण को लेकर और नारायणपुर में बिगड़े हालात को लेकर आबकारी मंत्री कवासी लखमा का कहना है कि धर्मांतरण भाजपा का ही बोया हुआ बीज है जो आज यह हालात देखने को मिल रहे हैं। कांग्रेस हमेशा ही आदिवासियों के हितेषी रही है और उन्हें अपने मूल धर्म और आदिवासी परंपराओं को जारी रखने के लिए प्रेरित करते आ रहे हैं। लेकिन भाजपा शासनकाल में जिस तरह धर्मांतरण को बढ़ावा दिया गया उसी का नतीजा है कि लगातार बस्तर संभाग में और खासकर नारायणपुर में इस तरह की हिंसा बढ़ रही है।

कवासी लखमा ने कहा कि सरकार मूल धर्म के आदिवासियों के लिए उनके गांव में देव गुड़ी बनाने के लिए 10-10 लाख रुपये खर्च कर रही है। इसके अलावा आदिवासियों द्वारा मनाए जाने वाले हर तीज त्योहारों पर स्थानीय विधायक शामिल होकर आदिवासियों को धर्मांतरण नहीं करने की सलाह दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में जो भी आरोप कांग्रेस पर लगाया जा रहा है वह सरासर गलत है। लगातार धर्मांतरण होना भाजपा को ही इसका जिम्मेदार ठहराया है। मसीह समाज के अध्यक्ष जेपी पाल का कहना है कि धर्मांतरण को लेकर मसीह समाज पर तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन मसीह समाज बस्तर संभाग के किसी भी आदिवासी को किसी तरह का कोई प्रलोभन मसीह समाज में शामिल होने के लिए नहीं दे रहा है।

अंदरूनी गांव में आदिवासियों की मसीह समाज के प्रति आस्था बढ़ी है और वे प्रार्थना में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि वह स्वेच्छा से इस धर्म को अपना रहे हैं। उनसे किसी तरह की जोर-जबर्दस्ती नहीं की जा रही है और ना ही हिंदू धर्म के देवी-देवताओं को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। जो आदिवासी इसाई धर्म में शामिल हो रहे हैं उन्हें अपने आदिवासी परंपरा और और रीति रिवाज को छोड़ने के लिए नहीं कहा जा रहा है, वे सिर्फ मसीह समाज में आस्था रखकर क्रिश्चियन समुदाय में शामिल हो रहे हैं।

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