Himachal Pradesh: सरकारी कार्य करने के बाद भी बकाया भुगतान न होने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे ठेकेदारों ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि जल्द भुगतान न किया गया और खजाना न खोला गया तो वे सड़कें जाम कर देंगे। ठेकेदारों का कहना है कि लंबे समय से उनके बिलों का भुगतान न होने से वे बैंक लोन और बाजार की उधारी नहीं चुका पा रहे हैं।
Himachal Pradesh: ठेकेदार बोले- इतिहास में कभी नहीं हुआ ऐसा
जिसके चलते उन्हें भुगतान करने के लिए अपने मकान बेचने की नौबत आ रही है। ठेकेदारों ने कहा है कि प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि खजाना बंद हुआ है। जिसके चलते सरकारी विभागों में कार्य प्रणाली चरमरा गई है। सरकार बताए कि खजाना क्यों बंद किया गया है। शुक्रवार को सुंदरनगर में राजकीय ठेकेदार कल्याण परिषद मंडी जोन की बैठक केशव नायक की अध्यक्षता में हुई। बैठक में मंडी, कुल्लू और लाहौल स्पीति के निर्माण कार्यों से जुड़े राजकीय व्यवसायिक ठेकेदारों ने भाग लिया।
इस अवसर पर सदस्यों ने कहा कि ठेकेदार अपनी अरबों रुपए की पूंजी प्रदेश व राष्ट्र के निर्माण में लगाकर उज्ज्वल भविष्य बनाने का काम कर रहे हैं। वहीं सरकार विकास के पहिये को गति दे रही है तथा किसी भी विकास कार्य की पहली नींव ठेकेदार द्वारा रखी जाती है तथा सरकार ठेकेदारों के माध्यम से ही उसे जनता को समर्पित करती है। हिमाचल प्रदेश में ठेकेदार पांच लाख से अधिक प्रवासी व मूल निवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध करवाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
Himachal Pradesh: करोड़ो के बिल बकाया
इसके साथ ही लाखों शिक्षित युवा साथी इंजीनियर, अकाउंट व प्रबंधन के पदों पर आसीन हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश प्रदेश सरकार के नौकरशाहों द्वारा जारी मौखिक आदेश के अनुसार तीन माह के लिए वित्तीय भुगतान रोक दिए गए हैं। जिससे पूरे प्रदेश में बेरोजगारी होगी। बेरोजगारी के साथ-साथ क्रशर, ईंट भट्ठों, हार्डवेयर की दुकानों, सरिया, सीमेंट व निर्माण सामग्री के दामों में भारी गिरावट के कारण प्रदेश के राजस्व की भी हानि हो रही है। इस अवसर पर केशव नायक ने कहा कि इस समय हिमाचल प्रदेश में सरकारी निर्माण से जुड़े ठेकेदारों का करीब 600 करोड़ रुपये का भुगतान खजाने में लंबित है तथा विभागों के पास 2100 करोड़ रुपये से अधिक के बिल लंबित पड़े हैं।
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उन्होंने कहा कि खजाने में लंबित भुगतान के कारण ठेकेदारों को करीब 200 करोड़ रुपये जीएसटी का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है। इस अवसर पर प्रस्ताव पारित कर मांग की गई कि सरकार बजट सत्र से पहले ठेकेदारों को लंबित भुगतान करना सुनिश्चित करे, अन्यथा ठेकेदारों का वित्तीय चरित्र खराब होने के साथ-साथ सरकार के जीएसटी राजस्व का भी एक हजार करोड़ से अधिक का नुकसान होगा। जिससे सरकार के विकास की गति के पहिये थम जाएंगे। इस अवसर पर बैठक में विजय कपूर, केडी निराशा, भूपेंद्र महाजन, राजेश कांप्लेक्स, नारायण सिंह, प्रेम, विकास, मनीष शर्मा, ऋषि, संदीप व नवनीत, नकलू सहित अन्य ठेकेदारों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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