Ram Mandir: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नये भारत का प्रतीक है। श्री राम को अपनी जन्मभूमि तक पहुँचने में 500 सौ वर्ष लग गये। श्री राम भारत की चेतना हैं और अयोध्या सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बन रही है।
दरअसल, मकर संक्रांति और लोहड़ी के मौके पर दिल्ली यूनिवर्सिटी में डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट की ओर से मशहूर पत्रकार बलबीर पुंज की किताब ‘ट्रिस्ट विद अयोध्या: डिकॉलोनाइजेशन ऑफ इंडिया’ का विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजनाथ सिंह थे।
उन्होंने कहा कि राम राज्य का अर्थ है लोक कल्याण की स्थापना और आतंकवाद को समाप्त कर समतामूलक समाज की स्थापना करना। श्री राम युग पुरुष, संस्कृति पुरुष और मर्यादा पुरूषोत्तम हैं। ये आदिवासी और महिला सम्मान के प्रतीक हैं। श्रीराम किसी विचारधारा से बंधे नहीं हैं, बल्कि वे हर क्षेत्र में आदर्श प्रस्तुत करते हैं। भगवान श्री राम ने बिना किसी को हड़पे सभी को फलने-फूलने का अवसर दिया। राम पर सवाल उठाने वाले आज हाशिये पर हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज भारत के पुनर्जागरण का समय है। आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में पुनर्जागरण हो रहा है। भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और तेजी से विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है।
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विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि 22 जनवरी को श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों के साथ ही अन्य क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों को भी अयोध्या में आमंत्रित किया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो।योगेश सिंह ने कहा कि श्री राम भारत के प्राण और आत्मा हैं। वे त्याग की प्रतिमूर्ति हैं, जिन्होंने राज्याभिषेक के अवसर पर सारा राजपाट त्याग दिया था। वह नैतिकता, शील और दयालुता के प्रतीक हैं।
पुस्तक के लेखक बलबीर पुंज ने कहा कि अगर श्रीराम को भारतीय मानस से हटा दिया जाए तो भारत अफगानिस्तान बन जाएगा। उनके लिए मानवता सर्वोपरि है। शिक्षक संगठन के अध्यक्ष प्रो।अजय कुमार भागी ने भारत की संस्कृति में राम की स्वीकार्यता एवं उनकी उपलब्धता के बारे में जानकारी दी।
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