नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मोदी सरकार को झटका देते हुए केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों पर रोक लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने चार सदस्यीय समिति का भी गठन किया है, जो कृषि कानूनों पर रिपोर्ट तैयार करेगी।
समिति के सदस्यों में भारतीय किसान यूनियन के प्रेसिडेंट भूपेंद्र सिंह मान, शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के प्रमोद के जोशी होंगे। हालांकि समिति के सदस्यों पर कांग्रेस पार्टी ने सवाल भी उठाये हैं। उसका कहना है कि समिति में जिन्हें जगह दी गई है वो पहले ही तीनों कानूनों की समर्थन कर चुके हैं, ऐसे में उनसे न्याय की उम्मीद कैसे की जाए।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सदस्यों की निष्पक्षता पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कमेटी के चारों सदस्यों की राय पहले से सार्वजनिक है। चारों सदस्य पहले ही कानून को सही ठहरा चुके हैं और इसे किसानों के लिए अच्छा बताया था। ऐसे में इस समिति के सदस्यों से न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
सुरजेवाला ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले पर भी संदेह हो रहा है कि कैसे समिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोगों को ही स्थान दिया गया। इनमें से एक ने कानून के पक्ष में लेख लिखा है, तो दूसरे ने मेमोरेंडम दिया है। तीसरे ने चिट्ठी लिखी है तो चौथा कोर्ट में याचिकाकर्ता है। अब जब इन्हें ही किसानों की समस्या के समाधान का दायित्व सौंपा गया है तो इनसे न्याय की उम्मीद करना बेकार है।
दूसरी ओर, पूर्व वित्तमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने भी समिति के सदस्यों पर मंसा पर संदेह जताया है। उन्होंने कहा है कि किसानों के विरोध पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा व्यक्त की गई चिंता न्यायसंगत है और एक जिद्दी सरकार द्वारा बनाई गई स्थिति में यह स्वागत योग्य भी है। किसी समाधान को खोजने दिशा में सहायता के लिए समिति के गठन का निर्णय भी सुविचारित है। हालांकि, चार सदस्य समिति की रचना गूढ़ है और विरोधाभासी संकेत भेजती है। आखिर उन व्यक्तियों को ही समिति में स्थान क्यों दिया गया, जिन्होंने सरकार के कानूनों को सही ठहराया है। उन्होंने पूछा कि क्या कृषि के मुद्दों पर किसानों का पक्ष रखने के लिए कोर्ट के पास कोई विशेषज्ञ नहीं थे?
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उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के कृषि कानून पर फिलहाल रोकक लगा दी है। हालांकि यह रोक अनिश्चितकालीन नहीं है। किसानों के असंतोष का समाधान निकालने के लिए कोर्ट ने चार सदस्यीय कमेटी भी गठित की है, जिसमें कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी, प्रमोद जोशी, हरसिमरत मान, अनिल घनवट शामिल हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर भी स्पष्ट तौर पर कहा है कि अनिश्चितकालीन प्रदर्शन समास्या का हल नहीं है।