भाजपा के घोषणापत्र पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, सुप्रिया श्रीनेत ने बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरा

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धर्मशाला: कांग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया विभाग की अध्यक्षा एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि भाजपा सरकार ने पिछले पांच साल में हिमाचल की दुर्दशा कर दी है। आज भाजपा अपने काम पर नहीं अपनी सिम्बल पर वोट मांगती है जबकि कांग्रेस जुमलों पर नहीं काम पर विश्वास करती है। राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत रविवार को धर्मशाला में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि भाजपा के बागियों को मनाने में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा नाकाम रहे, जिस कारण अब पीएम नरेंद्र मोदी स्वयं बागियों को फोन करके बैठने को कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा प्रदेश में पार्टी की अंतर्कलह को पाट नहीं पा रही है। सुप्रिया ने कहा कि जुमलेबाजी करने और सरकार चलाने में बहुत अंतर है।

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उन्होंने कहा कि भाजपा का नया घोषणापत्र आठ लाख नौकरी की बात करता है लेकिन 63 हजार रिक्त पदों को नहीं भरा गया। भाजपा युवाओं को दिवास्वप्न दिखाने के अलावा कुछ नही करती आई है। भाजपा सिर्फ धर्म और जाति के नाम पर ही वोट मांगती आई है। उन्होंने कहा कि पिछले विधानसभा चुनावों में इन्होंने माफिया की बात की थी लेकिन इनके राज में नये-नये माफिया आ गये। खनन माफिया, शराब माफिया, भर्ती माफिया सभी ने प्रदेश को खोखला कर दिया। महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर कुछ नही हुआ। गुड़िया हेल्प लाइन आज हेल्प लेस लाइन बन चुकी है। भाजपा न ओल्ड पेंशन की स्कीम पर बात करती है और ना ही पूर्व सैनिकों पर।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने 2017 में जारी किए गए घोषणापत्र में कई वादे किए गए थे जो आज तक पूरे नहीं किए गए। हिमाचल सरकार ने 2012 से 2017 तक 19 हजार 200 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था, जबकि जयराम सरकार ने अपने कार्यकाल में 19 हजार 498 करोड़ का कर्ज लिया। स्थिति बद से बदतर हुई। अन्नदाता किसानों की आय दोगुनी करने की बात छोड़िये, सब्सिडी भी बंद कर दिया। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में किसानों-बागवानों के लिए कई घोषणाएं की थीं। किसानों की आय दोगुनी करने का वादा तो पूरा नही हुआ लेकिन उलटे किसानों को दवाईयों और खादों पर मिलने वाली सब्सिडी भी बंद कर दी गई। बागवानी पर विशेष ध्यान देने के लिए बागवानी विश्वविद्यालय स्थापित करने और कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा पर कोई अमल नहीं हुआ।

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