देश पर भारी पड़ती ‘वैक्सीन’ पर असमंजस की नीति

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नई दिल्लीः कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने पूरे देश को अपने शिकंजे में ले रखा है और हर तरफ दिल दहलाने वाले मंजर दिखाई दे रहे हैं। दूसरी लहर की भयावहता के बीच वैज्ञानिक व विशेषज्ञ देश में तीसरी लहर के आने की भी आशंका जाहिर कर रहे हैं, ऐसे में वैक्सीन पर असमंजस की स्थिति देश पर भारी पड़ रही है। केंद्र की मोदी सरकार के लाख दावों के बावजूद लगभग हर राज्य वैक्सीन की कमी से जूझ रहे है, लेकिन वैक्सीन उत्पादन की सुस्त रफ्तार देश को बड़े संकट की तरफ धकेल रही है।

दुनिया में सबसे पहले दो-दो स्वदेशी वैक्सीन (कोविशील्ड व कोवैक्सीन) का निर्माण करने वाले भारत की पूरे विश्व में तारीफ हुई थी और सरकार द्वारा भी यह दावा किया गया है कि जल्द ही पूरी आबादी को वैक्सीनेट कर दिया जाएगा। वैक्सीन निर्माण होने के साथ ही सरकार ने सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स व फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण किया। इसके बाद 60 वर्ष की उम्र की आयु से अधिक, फिर 45 से अधिक और अब 18 वर्ष की आयु से ऊपर के सभी लोगों के वैक्सीनेशन का ऐलान किया। कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता के बीच यह ऐलान सरकार ने एक के बाद एक कर तो दिए, लेकिन वैक्सीन पर स्पष्ट नीति का अभाव अब देश पर भारी पड़ती दिख रही है। 18 वर्ष की उम्र से अधिक लोगों के वैक्सीनेशन की घोषणा के बाद से ही देश के सभी राज्य वैक्सीन की कमी का रोना रो रहे हैं, पर केंद्र सरकार आंकड़ेबाजी के खेल में इस परदा डालने में लगी हुई है। पहले जहां वैक्सीन के दाम को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों के बीच वाकयुद्ध चल रहा था, वहीं अब वैक्सीन की कमी को लेकर तलवारें खिंची हुई है। इन सबके बीच महामारी से जूझ रही आम जनता को किसी भी तरफ उम्मीद की किरण नजर नही आ रही है।

वैक्सीन उत्पादन की रफ्तार पर उठ रहे सवाल

सरकार ने कोरोना वायरस को मात देने के लिए सभी के वैक्सीनेशन का बीड़ा उठाया तो है, लेकिन वैक्सीन उत्पादन की रफ्तार पर विशेषज्ञ से लेकर राज्यों के मुख्यमंत्री व अन्य लोग भी सवाल खड़े कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा कि जिस तरह से भारत में वैक्सीन का उत्पादन चल रहा है, वैसे तो दिल्ली के लोगों को ही वैक्सीन लगाने में हमें 2 साल लग जाएंगे। उन्होंने कहा कि वैक्सीन बनाने का काम अभी दो कंपनियों के पास है। यदि भारत इन कंपनियों से फार्मूला लेकर दूसरी कंपनियों को दे दे, तो वैक्सीन उत्पादन की रफ्तार कई गुना बढ़ सकती है। पर्याप्त वैक्सीन मिलने पर हम जल्द से जल्द लोगों का टीकाकरण कर पाएंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री का यह सुझाव बेहद अहम है, यदि भारत सरकार वैक्सीन निर्माण का काम अन्य कंपनियों को भी दे दे तो उत्पादन की रफ्तार काफी तेज हो जाएगी। यदि राज्यों को अधिक से अधिक मात्रा में वैक्सीन मिलने लगेगी, तो कम से कम समय में लोगों का टीकाकरण हो सकेगा।

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वैक्सीन उत्पादन के मामले में भारत है नंबर 1

वैक्सीन उत्पादन के मामले में पूरी दुनिया में भारत नंबर 1 है और दुनिया भर में दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की वैक्सीन का 60 प्रतिशत से अधिक उत्पादन भारत में किया जाता है। वैक्सीन उत्पादन में नंबर एक पर होने के बावजूद कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के मामले में काफी पीछे नजर आ रहा है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जब दुनिया भर में भारत 60 प्रतिशत वैक्सीन सप्लाई करता है, तो उसे अपने नागरिकों को वैक्सीन लगाने के लिए क्यों टीके की कमी पड़ रही है ?