राजस्थान में 1190 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाएगी कोल इंडिया, 5400 करोड़ का होगा निवेश

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जयपुरः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी की उपस्थिति में गुरुवार सवेरे 1190 मेगावाट क्षमता की सोलर परियोजना स्थापित करने के लिए विद्युत उत्पादन निगम एवं कोल इंडिया लिमिटेड के मध्य सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। कोल इंडिया के तकनीकी निदेशक वी. रेड्डी और राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी ने एमओयू साइन किए। इस एमओयू के तहत कोल इंडिया राजस्थान में 1190 मेगावाट कैपेसिटी का सोलर प्रोजेक्ट लगाएगी। इसमें 5400 करोड का निवेश होगा।

जयपुर के केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी, सीएम अशोक गहलोत और उर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी की मौजूदगी में हुए एमओयू के तहत अगले दो साल में कोल इंडिया लिमिटेड को ये प्रोजेक्ट लगाना होगा। राजस्थान सरकार ने आरयूवीएनएल को 2000 मेगावाट सोलर पार्क को विकसित करने का जिम्मा दिया है। इसके लिए सरकार ने बीकानेर के पूगल में 4846 हेक्टेयर जमीन आवंटित की है। सोलर पार्क में 810 मेगावाट कैपेसिटी का सोलर प्रोजेक्ट खुद उत्पादन निगम लगाएगा। जबकि, 1190 मेगावाट का सोलर प्रोजेक्ट कोल इंडिया लिमिटेड लगाएगा।

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इस दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 10 फीसदी विदेशी इंपोर्टेड कोयला खरीदने की अनिवार्यता का मुद्दा उठाया और कहा कि इसकी काफी आलोचना हुई है और इस पर विचार करना चाहिए। इस पर केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने मंच से ही घोषणा करते हुए कहा उसे केंद्र सरकार ने ये फैसला वापस ले लिया है। इस पर गहलोत ने कहा कि यह एक अच्छा फैसला है। इससे बड़ी राहत मिली है। मेरे बिना कहे ही आपने समस्या का समाधान कर दिया। इस दौरान सीएम गहलोत और केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने एक दूसरे की तारीफ की। प्रह्लाद जोशी ने गहलोत को देश का वरिष्ठ नेता बताया और कहा कि आप के नेतृत्व में हम भी काम करेंगे। इस पर सीएम ने केंद्रीय मंत्री जोशी को कहा कि आपने मेरे बिना मिले ही आधा काम तो कर दिया है। विदेशी इंपोर्टेड कोयला खरीदने की अनिवार्यता खत्म कर दी। यह आपकी पॉजिटिव सोच को दर्शाता है आपकी सोच अच्छी है। मैं आपका आभारी हूं।

केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने राजस्थान सरकार को ऑफर देते हुए कहा कि कोयले के ट्रांसपोर्टेशन में ज्यादा कॉस्ट आती है और कोयला ट्रांसपोर्ट कर लाना एक बड़ी समस्या होता है। इसलिए, कोयला माइंस इलाकों में ही पीट हैड पाॅवर प्रोजेक्ट राजस्थान सरकार लगाए, इसका हम ऑफर देते हैं। मध्यप्रदेश ने भी ऐसा प्रोजेक्ट लगाने का करार किया है। कोयले के बजाय बिजली को ट्रांसपोर्ट करना यानी एक्सचेंज से लेना ज़्यादा आसान और सस्ता है। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने सीएम अशोक गहलोत से कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है। पारसा ईस्ट और कान्ता बासन और सरगुजा में राजस्थान को अलॉट कोल माइंस से किसी कारण से कोयला रुका हुआ है। इसके लिए भारत सरकार भी प्रयास कर रही है लेकिन राजस्थान सरकार की ओर से गहलोत भी छत्तीसगढ़ सीएम से बात करें।

पारसा खान से अगर राजस्थान को 11 रैक कोयला मिलने लग गया तो राजस्थान की थर्मल पावर प्लांट के लिए कोयले की कमी की समस्या का समाधान हो जाएगा। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक आर. के. शर्मा ने बताया कि राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के थर्मल, हाइडल एवं गैस आधारित विद्युत गृहों द्वारा बिजली का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें कोयले पर आधारित 23 थर्मल इकाइयों से 7580 मेगावाट विद्युत का उत्पादन हो रहा है। इन इकाइयों को कोयले की आपूर्ति कोल इंडिया लिमिटेड की विभिन्न खदानों से पिछले 40 वर्षों से की जा रही है। राजस्थान को कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट चलाने के लिए कोयला भी जरूरत जितना नहीं मिल पा रहा है।

प्रदेश की कुल जरूरत रोजाना 37 रैक कोयले की है। तब जाकर सभी थर्मल पावर प्लांट फुल कैपेसिटी पर चल सकेंगे। जबकि, अभी औसत 17 रैक ही कोयला मिल पा रहा है।छत्तीसगढ़ में अलॉट कोयला माइंस में स्थानीय लोगों के आंदोलन और एनजीओ के पर्यावरण को नुकसान को लेकर विरोध के कारण छत्तीसगढ़ सरकार ने आरवीयूएनएल को वहां पारसा ईस्ट कांता बासन एक्सटेंशन और सुरगुजा में नई माइंस से माइनिंग पर रोक लगा रखी है। निगम के थर्मल, हाइडल और गैस आधारित बिजली घरों में बिजली का प्रोडक्शन किया जा रहा है। जिसमें कोयले पर आधारित 23 थर्मल यूनिट्स से 7580 मेगावाट बिजली पैदा होती है। इन यूनिट्स को कोयले की सप्लाई कोल इंडिया लिमिटेड की अलग-अलग माइंस से पिछले 40 सालों से की जा रही है।

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