विधानसभा में सीएम योगी ने ली चुटकी, कहा-सदन को हलवा नहीं खिलाएंगे नेता प्रतिपक्ष

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लखनऊः विधानसभा में बजट 2021-22 पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुटकी लेते हुए नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी पर अपने क्षेत्र के इस हलवे को अभी तक नहीं खिलाने की बात कही। मुख्यमंत्री ने किसानों को लेकर सदन में हुई चर्चा को लेकर कहा कि पहले दिन से इस पर अलग-अलग बातें सामने आ रही हैं। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि मुझे लगा था नेता प्रतिपक्ष इस दौरान हमें राम रतन का हलवा खिला ही देंगे। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने खड़े होकर कहा कि मुख्यमंत्री का यह बयान कॉन्ट्रैक्ट खेती के सम्बन्ध में है। उन्होंने कहा कि यह सही है कि रामरतन का हलवा बेहद अच्छा है। लेकिन, उसने स्वयं कहा है कि वह इसके लिए गाजर बाजार से खरीदता है। दुकानदार कह चुका है कि वह कोई कॉन्ट्रैक्ट खेती नहीं करते हैं।

उन्होंने कहा कि जहां तक मुख्यमंत्री के हलवा खाने की बात है, वह सदन के खत्म होने के बाद जब वहां जाएंगे तो वहां से लाकर इसे खिला देंगे। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अखिलेश यादव के लिए वह हलवा हमेशा आता था। श्रीमती इन्दिरा गांधी के घर के लिए भी वह हलवा जाता रहा और अब नेता सदन के वहां भी आ जाएगा। उन्होंने कहा कि लेकिन कॉन्ट्रैक्ट खेती का जो संदर्भ नेता सदन ने दिया था, उससे यह परे है। इस पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने एक व्यक्ति ने कहा था कि जिसने 30 बसंत बिताई है, यानी जिसकी 30 साल की उम्र हो उसकी बुद्धि परिपक्व हो जाती है। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तो 70 बसंत बिता चुके हैं। उन्हें इस बात का एहसास हो जाना चाहिए कि नेता सदन ने किस परिपेक्ष्य में और क्या कहा था। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मजाकिया अंदाज में कहा यह तय है कि नेता प्रतिपक्ष सदन को हलवा नहीं खिलाएंगे। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष की ओर से इसके लिए हामी भरने पर उन्होंने कहा कि वह अकेले हलवा नहीं खाएंगे। उन्होंने सभी सदस्यों को खिलाने की बात कही। जवाब में नेता प्रतिपक्ष ने भी मुख्यमंत्री से कुछ नहीं खिलाने और चाय के लिए भी आमंत्रित नहीं करने की बात कही। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जितने भी अतिथि मुख्यमंत्री आवास पर आते हैं, उनके निमंत्रण को लेकर सबसे पहला निमंत्रण पत्र नेता प्रतिपक्ष को ही जाता है और बड़े सम्मान के साथ जाता है। नेता प्रतिपक्ष की टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि हर सरकार की बात नहीं है यह औपचारिकता से भी हट कर बात है।

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इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि रामरतन का हलवा अगर नेता प्रतिपक्ष ने सभी सदस्यों को खिलाया होता तो संभवतः कॉन्ट्रैक्ट खेती के बारे में यह प्रश्न सदन में नहीं उठाते। उन्होंने कहा कि नेता प्रपितक्ष के विधानसभा क्षेत्र में ही सहतवार कस्बे में यह सब होता है और वास्तव में यह दो पक्षों की आपसी सहमति के आधार पर होता है। उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट खेती कोई नई नहीं है। यह दशकों से चली आ रही है। पुराने समय में कोई कॉन्ट्रैक्ट, कोई लिखित दस्तावेज के आधार पर यह नहीं होता था। समय बदला, नई तकनीक आती गई। पहले लोग सादे कागज में लिखते थे। बड़े बुजुर्ग के सामने सारी बातें हो जाती थी। बाद में कागज के टुकड़े में लिखकर सहमति हो जाती थी। फिर स्टॉम्प पेपर पर यह होने लगा और अब ई स्टॉम्प पेपर आ गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज जब किसानों की आमदनी को बढ़ाने की दिशा में प्रयास प्रारंभ हुआ है, तो उसको गुमराह करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट खेती को लेकर विकल्प दिया गया है। मर्जी है तो करिए, नहीं है तो मत कीजिए। लेकिन, इसके नाम पर किसी को निशाना बनाना अन्याय है। उन्होंने कहा कि यह किसानों के साथ, देश के साथ अन्याय है।