लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट 2021-22 पर चर्चा के दौरान विधानसभा में कहा कि इसके माध्यम से प्रदेश के विकास को आगे बढ़ाने का कार्य किया गया है। विजन के साथ विकास का रोडमैप तैयार किया गया है। वहीं उन्होंने प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके बजट में प्रदेश के विकास, दूरदर्शिता की कोई भावना नहीं होती थी। मुख्यमंत्री ने सदन में एक बार फिर सपा की टोपी का मुद्दा उछाला। उन्होंने कहा कि हाथरस मामले में यह टोपी फिर से सवालों के घेरे में हैं। हाथरस हत्याकांड में एक बार फिर यह टोपी शर्मसार हुई है।
मुख्यमंत्री ने रामधारी दिनकर की कविता की पंक्तियां सुनाते हुए कहा, ‘‘विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है। सूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते। विघ्नों को गले लगाते हैं, कांटों में राह बनाते हैं मुंह से न कभी उफ कहते हैं।’’ उन्होंने कहा कि ये कविता बजट के परिवेश में देश और प्रदेश के बजट के परिप्रेक्ष्य में अक्षरशः सही बैठती है। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने बिना विचलित हुए इसका अनुसरण किया।
मुख्यमंत्री ने नेता विरोधी दल राम गोविन्द चौधरी की ओर इशारा करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के बजट में भारतीय परिपेक्ष्य में इस तरह का दृष्टिकोण नहीं होता था, जो सर्वसमावेशी, सर्वकल्याणकारी व प्रदेश के विकास को एक नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाला हो। उन्होंने कहा कि सपा केवल चार्वाक सिद्धान्त यावत् जीवेत् सुखम् जीवेत। ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत् (जब तक जीओ सुख से जीओ, उधार लो और घी पीयो।) पर विश्वास करती थी। इनका एक भाव होता था तात्कालिक रूप से मिल जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि न उसमें प्रदेश की भावना होती थी, न विकास का एजेंडा होता था और न ही कोई प्रदेश के लिए कोई दूरदृष्टि का एजेंडा ही उसके अंदर छिपा होता था। उन्होंने कहा कि इसलिए हर एक तबका नाराज होता था और हर एक तबके ने उसका जवाब भी दिया है।
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उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों के दौरान जो कार्य किए गए हम सब जानते हैं प्रदेश के अंदर ये कार्य सालों में नहीं हो पाए। अब रास्ते पर आते हुए दिखाई दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने जब अपना पहला बजट 2017-18 में पेश किया था, तब इसे किसानों को समर्पित किया गया था। इसके बाद 2018-19 का बजट हम लोगों ने प्रदेश के औद्योगिक विकास को समर्पित किया। एक जिला एक उत्पाद योजना, जो देश के लोकप्रिय योजना बन गई है, वह उसी समय हम लोगों ने फरवरी 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कर कमलों से प्रदेश के अंदर लागू की थी। आज इसके बेहतर परिणाम आए हैं। प्रदेश का निर्यात बढ़ा है। परम्परागत उद्योग एक बार फिर से पुनर्जीवित होते हुए दिखाई दिए हैं। उन्होंने वहीं 2019-20 का बजट हम लोगों ने प्रदेश की मातृशक्ति को समर्पित किया था। इसके बाद 2020-21 का बजट युवाओं की शिक्षा उनके कौशल विकास, रोजगार, मूलभूत-आधारभूत इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े हुए जो कार्य थे, उनको नई गति देने के लिए समर्पित किया गया। वहीं अब 2021-22 के बजट की थीम में प्रदेश सरकार ने स्पष्ट भाव रखा। प्रदेश के समग्र और समावेशी विकास को ध्यान में रखकर यह बजट प्रदेश के विभिन्न तबके के स्वावलम्बन और सशक्तीकरण को समर्पित है और इस बजट को इसी रूप में पूरे प्रदेश तथा देश ने लिया है।