चंडीगढ़ः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा पंजाब के अधिकारियों की बैठक लिए जाने के बाद राज्य की राजनीति में हंगामा खड़ा हो गया है। पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने एकजुटता के साथ सरकार को घेर लिया है। आम आदमी पार्टी इस बैठक को पंजाब के विकास में बेहतर करार दे रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार शाम दिल्ली में पंजाब बिजली विभाग के अधिकारियों की बैठक ली। इस बैठक में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन, राज्यसभा सांसद राघव चढ्ढा मौजूद रहे। बैठक में पीएसपीसीएल के अधिकारी शामिल हुए। जिसमें पंजाब में तीन सौ यूनिट बिजली मुफ्त दिए जाने पर चर्चा की गई है।
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बैठक में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ शामिल नहीं थे। इसी को विपक्ष ने मुद्दा बना लिया है। पहली बार पंजाब के अधिकारियों की बैठक पड़ोसी राज्य के मुख्यमंत्री ने ली है। पंजाब कांग्रेस के प्रधान एवं विधायक अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग ने कहा कि क्या पंजाब को दिल्ली वालों की कठपुतली बनाया जाएगा। यह बैठक किस हैसियत से ली गई है। पंजाब की जनता जानना चाहती है। उन्होंने तंज कसा कि सिर तो पहले ही झुका दिया था, अब माथा भी टेक दिया। पंजाब सरकार को केजरीवाल दिल्ली तलब कर रहे हैं, क्या पंजाब के फैसले दिल्ली में होंगे।
पंजाब भाजपा महासचिव सुभाष शर्मा ने इस मुद्दे पर मान सरकार को घेरते हुए कहा कि यह न सिर्फ गैर संवैधानिक है बल्कि पंजाबियों का भी अपमान है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पंजाब के अधिकारियों की बैठक ली है। क्या पंजाब के मुख्यमंत्री नाकाबिल हैं। पंजाब के पूर्व मंत्री एवं अकाली दल प्रवक्ता दलजीत चीमा ने कहा कि पंजाब के फैसले दिल्ली के मुख्यमंत्री लेने लगे हैं, क्या यही बदलाव है। चीमा ने कहा कि पंजाब स्वतंत्र राज्य है। दिल्ली के मुख्यमंत्री पंजाब के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहे हैं। यह पंजाब वासियों का अपमान है।
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