जयपुरः राजस्थान के मुख्यमंत्री व राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले अशोक गहलोत (Ashok Gehlot ) का आज 72वां जन्मदिन है। अशोक गहलोत राजनीति का एक बहुत बड़ा नाम है। गहलोत का जितना बड़ा राजनीतिक कद है उतने ही वे जमीन से जुड़े हुए नेता हैं। ऐसा नेता जिसने राजस्थान को पूरे देश में कई मामलों में नंबर वन बना बनाया, चाहे वो राइट टू हेल्थ की बात हो या फिर फ्री इलाज की। गरीबों और जरूरतमंदों की परेशानियों को गहलोत बेहद करीब से समझते हैं, उनकी चलाई गई योजनाएं इसकी बानगी साफ कहती हैं। गहलोत को सियासत का जादूगर यूं ही नहीं कहा जाता। उनकी जादूगरी ने राजस्थान से लेकर दिल्ली तक की सियासत में कई बड़े उलटफेर किए हैं। इसीलिए उन्हें कांग्रेस का संकटमोचक भी कहा जाता है।
सीएम गहलोत आज अपना जन्मदिन उदयपुर में आदिवासियों के साथ मनाएंगे। सीएम गलहोत को तमाम दिग्गजों ने जन्मदिन की बधाई दी। वहीं पीएम नरेन्द्र मोदी ने गहलोत को ट्वीट कर जन्मदिन की शुभकामनाएं दी है। पीएम मोदी ने ट्वीट पर लिखा-‘गहलोत जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं, उन्हें दीर्घायु और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिले’।
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कांग्रेस के लिए बने संकटमोचक
बता दें कि मुख्यमंत्री गहलोत को राजस्थान की राजनीति का चाणक्य माना जाता है। राजनीति का जादूगर भी कहा जाता है। गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को जोधपुर में लक्ष्मण सिंह गहलोत के घर हुआ था। अशोक गहलोत ने अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में जो मुकाम हासिल किया, वह बहुत कम ही नेता कर पाए हैं। । छात्र जीवन से ही महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित रहे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर गहलोत कांग्रेस में आए। एक बार राजनीति के सफर की शुरूआत के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। गहलोत को सियासत का जादूगर यूं ही नहीं कहा जाता। उनकी जादूगरी ने राजस्थान से लेकर दिल्ली तक की सियासत में कई बड़े उलटफेर किए हैं। इसीलिए उन्हें कांग्रेस का संकटमोचक भी कहा जाता है।
अशोक गहलोत (Ashok Gehlot ) के पिता लक्ष्मण सिंह जादूगर थे। गहलोत खुद कई बार कह चुके हैं कि अगर वे राजनीति में नहीं गए होते तो आज जादूगर होते। सीएम अशोक गहलोत राजस्थान एनएसयूआई के पहले अध्यक्ष बने और छात्रों को एनएसयूआई से जोड़ने के लिए अपनी बाइक से घूमे । यह वह समय था जब देश में आपातकाल की स्थिति थी। इस दौरान गहलोत को भी पहली बार जोधपुर की सरदारशहर विधानसभा का टिकट मिला लेकिन वो अपना पहला चुनाव नहीं जीत पाए।
पूर्व PM इंदिरा गांधी भी गहलोत की कार्य से थी प्रभावित
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अशोक गहलोत (Ashok Gehlot ) की कार्यशैली से इतनी ज्यादा प्रभावित थी कि उन्होंने विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी उन्हें 1980 में जोधपुर से लोकसभा का टिकट दिया। तब भी अशोक गहलोत मोटरसाइकिल पर घूम-घूम कर पूरे जोधपुर शहर में पर्चे बांटे थे और जमकर चुना प्रचार किया था। उस समय पहली बार गहलोत ने भारी मतों से लोकसभा चुनाव जीतकर राजनीतिक पंडितों को भी चौंका दिया था। इसके साथ ही गहलोत की दिल्ली में एंट्री हुई। गहलोत तब सातवीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद वे लगातार 8वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए। गहलोत कांग्रेस सरकार में केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं।
राजस्थान के 3 बार सीएम बनने वाले गहलोत चौथे नेता
राजनीति के अलावा सीएम गहलोत ने 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी शरणार्थी शिविरों में काम किया और कई सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहे। अशोक गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने हैं। वे राज्य में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले चौथे नेता हैं। गहलोत से पहले भैरों सिंह शेखावत और हरिदेव जोशी ने 3-3 बार राजस्थान के सीएम के रूप में कार्य किया। हालांकि, मोहन लाल सुखाड़िया सबसे ज्यादा चार बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे। 1998 में गहलोत पहली बार सीएम बने उसके बाद 2008 में दूसरे मुख्यमंत्री बने। इसके अलावा आशोक गहलोत तीन बार कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं।
चाय और बिस्किट के बेहद शौकीन सीएम गहलोत
आम लोगों की तरह अशोक गहलोत चाय और बिस्किट के बेहद शौकीन हैं। गहलोत को करीबी से जानने वाले लोगों का कहना है कि गहलोत अपने साथ हमेशा पार्लेजी बिस्किट का पैकेट जरूर रखते हैं औऱ कभी भी उनका चाय पीने मन हो जाता है। यहां तक बीच रास्ते में अगर उन्हें चाय की तलब उठ जाए तो गाड़ी सड़क किनारे खड़ी करवाकर किसी भी चाय की दुकान पर चाय पीते हैं।
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