नए संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट से मिली हरी झंडी

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। तीन जजों की बेंच ने 2-1 के बहुमत से ये फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट के बहुमत के फैसले में ज़मीन का डीडीए की तरफ से लैंड यूज़ बदलने को सही करार दिया गया है। कोर्ट ने पर्यावरण क्लियरेंस मिलने की प्रक्रिया को सही कहा है। बहुमत के फैसले में निर्देश दिया गया है कि सेंट्रल विस्टा के निर्माण के दौरान स्मॉग टावर लगाए जाएं। इसके साथ-साथ निर्माण से पहले हेरिटेज कमेटी की भी मंजूरी लेने का आदेश दिया गया है।

अल्पमत के फैसले में जस्टिस संजीव खन्ना ने लैंड यूज़ बदलने की प्रक्रिया को गलत कहा है। पर्यावरण मंजूरी को अस्पष्ट बताया है लेकिन 2-1 के बहुमत से आया प्रोजेक्ट को मंजूरी देने वाला फैसला ही मान्य होगा। यानी नई संसद/सरकारी इमारतों का निर्माण हेरिटेज कमेटी की मंजूरी लेकर हो सकेगा।

पिछले 5 नवम्बर को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। दिसम्बर 2019 में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने बीस हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट के लैंड यूज बदलने पर एक नोटिस के जरिये आपत्तियां मंगाई थीं। इस नोटिफिकेशन को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि ये नोटिफिकेशन दिल्ली डेवलपमेंट एक्ट की धारा 11ए के तहत गैरकानूनी है। डीडीए को इसे नोटिफाई करने का अधिकार नहीं है। याचिका में कहा गया था कि यह नोटिफिकेशन दिल्ली मास्टर प्लान 2021 का उल्लंघन करता है।

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पिछले 30 अप्रैल को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि संसद भवन बनाया जा रहा है, इसमें परेशानी की क्या बात है? याचिका राजीव सूरी ने दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि केंद्र सरकार द्वारा पिछले 20 मार्च को एक नोटिफिकेशन के जरिये सेंट्रल विस्टा के प्लान को हरी झंडी दे दी गई। याचिका में कहा गया था कि सेंट्रल विस्टा को नोटिफाई करने का आदेश बिना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के किया गया है।